थोरकिन तँहू जोहार बबा। बाँटत हावै सरकार बबा। दीही कहिथें बोनस अड़बड़ हाँथ ल अब बने पसार बबा। घर-घर मा मोबाइल आगे चुनई के हरे दरकार बबा। झँगलू – मंगलू नेता बनके ठाढ़े हे तोर दुवार बबा। दुरिहा-दुरिहा राहे जउन मन लपटत हावै, जस नार बबा। पाँच बरस तरसाइन जउन मन आज हावै, गजब उदार बबा। उलट बाँसिया लागत हे सब ‘बरस’ कहे, बने बिचार बबा। बलदाऊ राम साहू
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गाँव रहिस सुग्घर, अब शहर होगे
बोली अउ भाखा हर जहर होगे, गाँव रहिस सुग्घर, अब शहर होगे। दिनो -दिन बाढ़त हे मंहगाई हर, मुश्किल अब्बड़ गुजर-बसर होगे। बैरी बनगे भाई के अब भाई हर, लागत हे, चुनई के गजब असर होगे। बलदाऊ राम साहू
Read Moreछत्तीसगढ़ी ग़ज़ल
आस लगा के बइठे हावस, हमरों कौनो पूछइया हे, जेन बेटा ला पाले-पोसे, परान उही लेवइया हे। खोर्रो मा सुतेस तैं अउ जठना जेकर जठायेस तैं हर, आज उसी हर सबले बड़का, तपनी कस तपइया हे। जेन खूँटा ला धरे हावस, उही हर होगे हे सरहा, सरवन बन के कौन तोला, तीरथ-बरत करइया हे। सातधार दूध पियायेस, उहीमन हर होगे हे बैरी, काकर कर तैं दुख ला गाबे, धन के सबो रपोटइया हे। बलदाऊ राम साहू
Read Moreछत्तीसगढ़ी गज़ल
सब्बो मतलबी यार होगे। तब्भे तो बंठा – धार होगे। मनखे मन मनखे ला मारिस इज्जत हर तार-तार होगे। धर लिन रद्दा बेटा मन सब परिया खेती – खार होगे। सावन, भादो, कुँवार निकले बादर हर अब बीमार होगे। कुतर-कुतर के खा लेव जम्मो मुसवा हमर सरकार होगे। साधु बबा हर जेल म चल दिस गाँव – गली म गोहार होगे। बलदाऊ राम साहू 9407650458
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रद्दा मा काँटा बोवइया मन हर, सूरुज ला जीभ देखइया मन हर। देखौ, बिहनिया के सूरुज आगे, हरदम आँसू बोहइया मन हर। थोरको सोचौ, जानौ , समझौ रे, दूसर बर खाँचा खनइया मन हर। काबर पाछू तुम रेंगत हावौ, आने के पाँव गिनइया मन हर। बेरा आगे अब तो बरसो तुम, बादर कस गजब घपटइया मन हर। बलदाऊ राम साहू रद्दा =रास्ता, मन हर = लोगों, बिहनिया =सुबह, खाँचा=गड्डा, काबर= क्यों, रेंगत हावौ =चल रहे हो, आने के =दूसरों के, घपटइया= छाने वाले
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झपले तैं आ जा मोर कना, अंतस ला समझा मोर कना. सबके जिनगी मा सुख-दुख हे, पीरा ला भुलिया मोर कना. जिनगी भर जऊन रोवत हें, उनला झन रोवा मोर कना. बात बिगड़ जथे, बात बात मा बात बने फरिहा मोर कना. पीथे अँधियारी ल दिया हर, बार दिया ला तैं मोर कना. कतको झन जियत हे, भरम मा थोरकिन लखा तैं मोर कना. जग मा कतको झन सुते हें, ‘बरस’ झन ओरिया मोर कना. बलदाऊ राम साहू मो 9407650458
Read Moreनवगीत : अगर न होतेन हम
करिया-करिया बादर कहिथे अगर न होतेन हम। धरती जम्मो बंजर होतिस जल हो जातिस कम। हमर आए ले तरिया-नरवा जम्मो ह भर जाथे, जंगल-झाड़ी, बन-उपवन मन झूम-झूम हरसाथे। कौन हमर तासीर ल जाने जाने कौन मरम? करिया-करिया बादर कहिथे अगर न होतेन हम। मनखे मन हर काटत हावै रुख-राई ल जब ले, हमर आँखी मा आँसू रहिथे रूप बिगड़गे तबले। मोर पीरा ल समझे नहीं, फूटे उँकर करम। करिया-करिया बादर कहिथे अगर न होतेन हम। परियावरन रही बने जी सुग्घर दिन तब आही मेचका, मछरी अउ चिरई मन गीत हरेली…
Read Moreग़ज़ल : गुलेल
हम बेंदरा अन, उन मंदारी लागत हावैं, धरे गुलेल हे, बड़े सिकारी लागत हावैं। हमरे इहाँ कौनो पूछइया हावै काँहाँ, हम बोबरा उन बरा-सोंहारी लागत हावैं। हाथ मा जेकर राज-पाठ ला सौंपे हम मन, उन राजा कहाँ, बड़े बैपारी लागत हावैं। जउन मनखे हर सीता जी के हरन करीन हे, आज मंदिर के बड़े पुजारी लागत हावैं। जुग के कोढ़िया, ठलहा किंजरत रहिस जउन, खरतरिहा बनगे धरे तुतारी लागत हावैं। बलदाऊ राम साहू 1. बंदर 2. स्वादहीन पकवान 3. बड़ा-पुरी 4. कामचोर 5. जिसके पास काम नहीं (निठल्ले) 6. घुम…
Read Moreग़ज़ल : गीत ग़ज़ल ल गावत हावस
गीत ग़ज़ल ल गावत हावस, का बात हे? सच दुनिया के जानत हावस, का बात हे? अंतस मा तो पीरा हावै गजब अकन, पीरा ला समझावत हावस, का बात हे? पाप के दहरा मा बुड़े मनखे मन ला, गंगा पार लगावत हावस, का बात हे? कुंभकरन कस सुते हावैं, इहाँ जउन मन, हाँक पार जगावत हावस, का बात है? साँप बरोबर मेरड़ी मारे हावै जउन, उनला दूध पियावत हावस, का बात है? बलदाऊ राम साहू 1,गजब अकन=बहुत 2. दहरा=नदी का गहरा भाग 3. बूड़े=डूबे 4. मनखे=मनुष्य 5.मेरड़ी= कुंडली
Read Moreबलदाऊ राम साहू के गज़ल
गोरी होवै या कारी होवै। सारी तब्भो ले प्यारी होवै। अलवा-जलवा राहय भले जी एकठन हमर सवारी होवै। करन बड़ाई एक दूसर के काकरो कभू झन चारी होवै। राहय भले घर टुटहा-फुटहा तब्भो ले ओ फुलवारी होवै। बेटा कड़हा – कोचरा राहय मंदहा अउ झन जुवारी होवै। ‘बरस’ कहत हे बात जोख के, जिनगी म कभु झन उधारी होवै। तब्भो = तो पर भी, अलवा-जलवा= समान्य, चारी= निंदा, कड़हा-कोचरा =अनुत्पादक, मंदहा =मद्यपान सेवन करने वाला, मन मा जब तक अहसास हावै जी। अंतस मा सब उल्लास हावै जी। कब तक…
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