छत्तीसगढ़ी बोले बर लाज काबर

आज हिन्दी जनइया मन हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी जनइया मन ल छत्तीसगढ़ी बोले म तकलीफ होथे। ये मन अंगरेजी अउ हिन्दी भासा के परयोग करथे। अपन भासा ल पढ़े-लिखे म सरम आथे, काबर? अपन भासा के प्रति हीनता इंखर बीमारी आय। जेन ह सिर्फ परचार ले अउ ननपन ले अपन भासा के प्रति परेम ले दूर हो सकथे। मोला सुरता हे, मोर गांव तीर खम्हरिया गांव म रमायन प्रतियोगिता होत रीहिस हे। ये मा बड़का पहुना बना के अभी दू महीना भगवान घर गे होय लाल लंगोट पहनइया बालक भगवान ला…

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मोबाइल के बड़े-बड़े गुन

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया के इंजीनियर प्रोफेसर के दिमाग म बात अइस। सोचीस, सहर-गांव सबो जगा मोबाइल के अड़बड़ चलन होगे हे, गांव मन म रोग के जांच कर इलाज करइया (क्लिनिक लैब्स) साधन घलो नइये। अइसे म, एक ठी पोर्टेबल माइक्रोस्कोप बनाके वोला मोबाइल ले जोड़ दे जाय। इंजीनियर प्रोफेसर मन अइसे सोचे बात ल कर घलो डरीन अउ सेल स्कोप बना घलो डरे हे। ये उपकरण (मसीन) (मोबाइल) हा मलेरिया अउ टीबी (क्षय रोग) फैलइया कीरा (जीवाणु) के कोटोला उतारही अउ नेटवर्क ले दुनिया भर म कहूं भेज सकत…

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लड़की खोजत भंदई टूट जाय

गांव मन म पहिली मोटर गाड़ी, फटफटी नई रहिस। साइकिल घलो इक्का-दुक्का घर राहय। बिहाव के दिन आय त ये गांव ले वो गांव पता करत रेंगते घुमंय। जउन जिहां जाय बर काहे जिहें चल देंवय। येती-ओती पता करत अतेक घुमंय त नवा पहिने भंदई के धुर्रा बिगड़ जाय। भंदई टूट जय, गथना छर्री-दर्री हो जय। पहिली अउ अब, सबो जात, समाज म लड़का के बिहाव करे बर लड़की खोजइ म कइ किसम के बेरा आय गे हे। 50-55 साल पहिली घलो समाज म बिहाव लइक लड़की कमती राहे। लड़का…

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