Basant “Nachij”

छत्तीसगढ़ी गजल

दसो गाड़ा धान हा घर मा बोजाय हे जरहा बिड़ी तबले कान म खोंचाय हे. एक झन बिहाती, चुरपहिरी दूसर… Read More

10 years ago

बसंत ‘नाचीज’ के छत्तीसगढी गजल

बिना, गत बानी के घर, नाना नानी केडोकरी, डोकराबिन, दवई पानी केआय डोली, काकरढेला रानी केलगत कइसन होहोरा छानी केऊंचा है… Read More

14 years ago