बसंत राघव के छत्‍तीसगढ़ी गज़ल

1 ओखर आंखी म अंजोर हे दया-मया केजिंहा ले रद्दा हे डोर उहां लमाथेउंचहा डारा ले ओहर उडि़स परेवा कसधरती ला छोडि़स त गिरीस बदाक ले ओखर ले दुरिहा के जानेंव मैं सब लसुरता लमिस त भगवान कस जानेवमरहा जान के ओला डेहरी बइठारेंवहांडी-बटकी ले गइस तभे पहिचानेंवफरै ना फूलै कतको डारा ल सींच लेजरी ला सींचबे तभेच सेवाद ला पाबे। 2 सड़क म जगा जगा कुआ खोदागेअंधवा हे सरकार ओमा बोजागेडूब मरिस सुख्‍खा डबरी म कमइयापेट ला मारे म ठेकेदार हे आगेतैं अपन पीरा ला काला गोहराथसपुलिस के बल…

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