देख रे आंखी, सुन रे कान: भगवती लाल सेन

बोले मं परही चटकन तान, देख रे आँखी सुन रे कान। दही के भोरहा कपसा खायेन। गजब साल ले धोखा पायेन। गोठ गढ़ायेन, बहुत ओसायेन। तेखरे सेती आज भोसायेन। सीधा गिन के मिले खाय बर, खोजे कोनो डारा-पान। जनम के चोरहा बनिन पुजारी। सतवादी बर जेल दुआरी। सिरतोन होगे आज लबारी। करलई के दिन, झन कर चारी। बड़ गोहार पारे सेवा के, भीतरी खायं करेजा चान। कहिथे महंगी, होही सस्ती। हाँसत गाँव के हो ही बस्ती। अब गरीब के हो ही हस्ती। हर जवान में हो ही मस्ती। थोरको नइये…

Read More

बसदेव गीत : भगवती सेन

सुन संगवारी मोर मितान, देस के धारन तंही परान हरावय करनी तोर महान, पेट पोसइया तंही किसान कालू बेंदरुवा खाय बीरो पान, पुछी उखनगे जरगे कान बुढवा बइला ल दे दे दान, जै गंगा… अपन देस के अजब सुराज भूखन लांघन कतको आज मुसुवा खातिर भरे अनाज कटगे नाक बेचागे लाज नीत नियाव मां गिरगे गाज बइठांगुर बर खीर सोहांरी, खरतरिहा नइ पावय मान.. जै गंगा… मंहगाई बाढ़े हर साल बेपारी होवत हें लाल अफसर सेठ उडावंय माल नीछत हें गरीब के खाल रोज बने जनता कंगाल का गोठियावंव सब…

Read More

अइसन दिन आये हे

अइसन दिन आये हे काँही झगरा नवां झन बिसाव जी। निकरत ले काम, लेवना लगाय जी। अब अइसन दिन आये हे॥ कोन ह करत हवय, तेला तुम छोड़व ना जेमा अपन काम सघे उही गनित जोडो़ गा फिकर झन करौ भइया खाव तेखर गाव जी अब अइसन दिन आये हे। दिन ला तुम रात कहौ, आमा ला अमली डोरी ला साँप कहौ रापा ला टंगली खुसामद ले आमद हे उही ला कमाव जी अब अइसन दिन आये हे। झपटो मारो काटो ये राक्षस राज हे बाढे हे बेसरमी कहाँ काम…

Read More