मोर बाई बहुत गोठकहरिन हे! ओकर कोठ ल सुन के में असकटा जथंव, तेकरे सेती फेसबुक म रही रही के हमा जथंव! उहीच उही गोठ ल घेरी बेरी गोठियाथे, अउ नै सुनव तहले अपने अपन रिसाथे ! ए जी-ए जी कहिके मोला रोज सुनाथे, कहू कही कहिथव त मइके डहर दताथे ! मज़बूरी में महू ह मुड़ी ल नवाथव , हवच हव कहिके बाई ल मनाथव ! कही कुछू लेहु कहिके रोज बजार म जाथे , अपन बर कुछु लानै नहीं उल्टा मुहिल सजाथे ! काम बुता में जाथव तबले…
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लोरी
सुत जबे सुत जबे लल्ला रे सुत जबे न एसे मजा के रे बेटा मोर पलना मा सुत जबे सपना के रानी रे बेटा मोर निदिया में आही न मुन्ना राजा बर भैया रे पलना सजाही न चंदा के पलना रे भैया मोर रेशम के डोरी न टिमटिम चमके रे बेटा मोर सुकवा चंदैनी न गजरा गुंथाये रे लल्ला मोर चम्पा चमेली न पलना झुलाही रे बेटा मोर सखी अऊ सहेली न ऐसे के बेरिया म भैया मोर रानी जब आही न लोरी सुना के रे बेटा मोर तोला सुताही…
Read Moreमय अक्खड़ देहाती अंव
छत्तीसगढ़ के रउहइया अंव, छत्तीसगढ़ी मा गोठियईया अंव। संगी मय देहाती अंव, मय अक्खड़ देहाती अंव।। चार महिना ले बुता करईया आठ महिना ले सुरतईया अंव। जम्मों सुख ले जीये-खाये, मय बिनती के करइया अंव।। मय छत्तीसगढ़ के माटी, मय माटी के सिरजइया अंव। माटी के घर बनाये बर मय नींव के खनइया अंव।। संगी मय देहाती अंव। मय अक्खड़ देहाती अंव।। माटी ला चिक्कन बनाये बर, मय माटी के मतइया अंव। नींव खोदागे त लोंदी-लांेदी, मय माटी के अमरइया अंव।। मुंड़-पुरूष होगे त संगी, मय म्यार के मडहईया अंव।…
Read Moreअपन बानी अपन गोठ
बड़े बिहिनिया दीदी छरा छितत हावय कोठा ले सुरहीन गईया बइठे हांसत हावत संदेसिया कस कांव कहि डेरा मा बलाहू अपन बानी गोठ मा जुरमिल गोठियाहू देखव fभंसरहा किसनहा भईया ला नागर-जुड़़ा खांधे बोहे रेंगइया ला सुग्धर धनहा खेती ला जुरमिल उपजाहू अपन बानी गोठ मा जुरमिल गोठियाहू महतारी के भाखा ये भइया संसो लजाये के उघारव फइका कतका दिन ले छितका कुरिया मा तू मन हा धंधाहू अपन बानी गोठ मा जुरमिल गोठियाहू महतारी के भाखा छत्तीसगढी साग मा मिठाथे जइसे सुग्धर कढ़ी चटवा-चटवा मांदी मा जम्मों ला खवाहू…
Read Moreबदलत हे मोर राज
बदलत हे मोर राज भइया बदलत हे मोर गांव जी बदलत हे लइका सियान अऊ बदलत हे मोर मितान जी शहर के जम्मों जिनिस बदलत हे बदलत हे रोज राह जी चऊंक अऊ कचहरी बदलत हे नई हे बईमानी के थाह जी शहर के अऊ का बात बतावंव गंाव डहर मय जांव जी पंच-सरपंच अऊ नियाव बदलत हे बदलत हे गांव के नाव जी कोन अंव भइया कहां ले आयेंव अब कोन ला मैं बतांव जी कोनों ला थोरको फुरसत नइहे काखर कर दुखड़ा सुनांव जी थके रहेंव तरिया कर…
Read Moreबिखरत हे मोर परिवार
ददा ला कहिबे, त दाई ला कहिथे दाई ला कहिबे, त कका ला कहिथे कका ला कहिबे, त काकी ला कहिथे अब नई होवत हे निस्तार। बिखरत हे मोर परिवार।। गांव के जम्मां चऊंक चऊंक मा चारी चुगली गोठियावत हे देख ले दाई, देख ले ददा कहिके जम्मों करा बतावत हे सब्बों देखत हे संसार। बिखरत हे मोर परिवार।। एकठन चुल्हा रिहिस, एक ढन हड़िया साग ऐके मा चुरत रहय नई रिहिस काखरो संग झगड़ा ये झगड़ा मा कोन बयरी के नजर लगिस भरमार। बिखरत हे मोर परिवार।। …
Read Moreसत के रद्दा
कोना रूपया लाख कुढ़ोवे कोनो बल मा तोला दबावे झन तय कोना ला डरबे सत् के रद्दा मा चलबे मेकरा लार मा जाला ला बनाथे दू-चार दिन रहीे जिनगी बिताथे मोह मा पर के वो मेकरा हा भईया अपनेच जाला मा फंस मर जाथे झन तय अइसन गढ़बे सत् के रद्दा मा चलबे ये जिनगी तोर हे भंवरा बरोबर सुख सुरूज दुख चंदा बरोबर मीठ के लालच मा पर के गा भईया अपन डेरा मा उड़े ला भुलाथे झन तय लालच करबे सत् के रद्दा मा चलबे जादा कुढ़ेना मा…
Read Moreचुनई के बेरा
चुनई के जब बेरा आय बिपक्षी मन के खामी आ जाय पांच बछर जब राज करिस तब काबर नई सुरता देवाय चुनई के बेरा खामी बताय राजनीति के खेल ये भइया सब्बो संग मिलके गोठियाय वोट मांगे बर सब्बो घर पांइलाग सबके दुख बिसराय चार लंगुरूवा ला संग लेेके अपन नाम के छापा देखाय वोट छापा मा डारहू कहिके चंऊक मा भाषण सुनाय जम्मों कर अपील कहिके अपील मा मन ला मोहाय कुरता गहना सोना-चांदी दरूहा ला दारू पिलाय बड-बड़े पाम्पलेट छपवा के घर-घर मा बांटत जाय बनगे नेता त…
Read Moreसुरता लंव का दाई तोर गांव मा
सुरता लंव दाई का तोर गांव मा सुग्घर खदर छानी छांव मा जाना हे दूर कहिके खायेंव सटर-पटर गांव हावय दुरिहा रेंगेव झटर-पटर लागे हे भूख दाई खालंव का बासी पसिया मोर ले नई सहावय जियादा तपसिया सुरता लंव दाई का तोर गांव मा सुग्घर खदर छानी छांव मा बिहीनिया ले रेंगे रहेंव धरके मोटरी मोटरी मा हावय खुरमी-ठेठरी थकगे जांगर मोरे रेंगे नई जावय लागाथे भूख फेर नई खवावय सुरता लंव दाई का तोर गांव मा सुग्घर खदर-छानी गांव मा जरत हे भोंभरा तिपे हे भुंईया होगे सिरतोन घाम…
Read Moreतय जवान कहाबे
जा मोर बेटा तय जवान कहाबे, माता के रक्षा बर जान गंवाबे जा मोर बेटा तय जवान कहाबे। दुनिया मा किसम-किसम, के मनखे भरे हे कानो हे गरीबहा त, कानो धन ला धरे हे, अइसन के बीच रही, जिछुटठा झन कहाबे जा मोर बेटा तय जवान कहाबे। मालिक ला गुण नई लागयए जबरन खिसियाही गा थोरेक जादा कमाबे त, दुनिया सिसियाही गा अइसन अनदेखना के, तीर झन ओधियाबे जा मोर बेटा तय जवान कहाबे। पइसा के राहत ले जी, तीर मा ओधियाही गा हो जाबे गरीबहा त, मुंहू ला टेंडवाही…
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