लालच के फल

एक गांव म एक झन मरार डोकरा अउ मरारिन डोकरी रिहिस। दूनों झन बखरी म साग-भाजी बोय अउ बेंचे। मरार डोकरा ह रोज बखरी ल राखे बर जाय। इन्द्र के घोड़ा ह डोकरा के बखरी म रात के बारा बजे रोज आय अउ साग-भाजी ल चर देय। मरार डोकरा अपन डोकरी ल बताथे काकर गरवा ह आथे वो अउ बखरी ल चर के चल देथे। मेहर पार नइ पावौ, डोकरी कथे- डोकरा तैंहर आज दिनभर अउ रात भर बखरी म रबे। डोकरा हव काहत बखरी म चल देथे। रात के…

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ढेलवानी – कहिनी

‘बहू ह बने खाय बर दिस हे मितान चैतु कथे। दिन बीतत गिस एक बखत सुकारो ह अपन घर वाला ल काहत राहय। ते ह तो भारी भलमंता बने हस तोर मितान ल बनी के पइसा अउ भात बासी घलो देवत हस। काकर घर अइसने पइसा खाय बर देत होही। आज ले ओला खाना देय बर बंद करहूं। अब्बड़ दिन होगे तोर मितान ल खावत-खावत।’ एक ठक गांव म बिसाहू अउ चैतु रिहिस। दूनो झन के चेहरा ह मिलती-जुलती रहिस, तेकरे सेती गांव के सियान समारू ह बिसाहू अउ चैतु…

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