कलजुगी नारद

जुन्ना समे म काकरो बनत काम ल बिगाडे बर, ककरो बिगडे रद्दा ल बनाय बर, एक-दूसर ल झगरा-लडुई कराय बर नारद मुनि के परमुख बुता राहय। सतजुग, त्रेता, दुवापर जम्मो जुग म वोहा कोनो न कोनो जघा, बेरा-बखत म खचित उहां पहुंच जाय। अपन बुता ल नेते तभेच दूसर काम म मन लगाय। नारद मुनि ह न ककरो ले इरसा रखाय न कोकरो बिगाड करे के सोचय। वोहा जब देखय के ककरो उप्पर अलकर समे हे वो बात ह बता देवय अउ समसिया ल सुलझाय पर अचूक उदिम घलो समझा देवय। भले वोला जम्मोझन चुगलहा के नांव ले जानय, फेर वोहा घेरी-बेरी…

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