हमर स्कूल

हमर गॉव के गा स्कूल, सरकारी आवय झन भूल। दीदी-भैया पढ़े ल, चले आहु ना… खेल-खेल में सबो ल पढ़हाथे, अच्छा बात ल बताथे…..दीदी… रोज-रोज नवा-नवा, खेल खेलवाथे। गोटी-पथरा बिन गिन, गिनती लिखाथे।। हमर गॉव के……..दीदी…….. फल-फूल अंग्रेजी के, नाम हमन पढ़थन। दुनिया ल समझेबर, जिनगी ल गढ़थन।। हमर गॉव के……..दीदी……… दार-भात,कपड़ा के, झन चिंता करहु। सर-मैडम बने-बने, ध्यान दे के पढ़हु।। हमर गॉव के ……..दीदी……… सरपंच अउ पंच के एमा, हावै भागीदारी। जिला अधिकारी संग, सबके जिम्मेदारी।। हमर गॉव के………दीदी……….. मिलही बने शिक्षा, संगीत अउ गान के। तुंहर सम्मान…

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निषाद राज के छत्तीसगढ़ी दोहा

माता देवी शारदा, मँय निरधन लाचार। तोर चरन में आय हँव, सुन दाई गोहार।। माता तोरे रूप के, करहूँ दरशन आज। पाहूँ मँय आशीष ला, बनही बिगड़े काज।। हे जग जननी जानले, मोरो मन के आस। पाँव परत हँव तोर ओ, झन टूटै बिसवास।। दुनिया होगे देखले, स्वारथ के इंसान। भाई भाई के मया, होंगे अपन बिरान।। आगू पाछू देखके, देवव पाँव अगार। काँटा कोनो झन गड़य, रद्दा दव चतवार।। xxx काँटा गड़गे पाँव मा,माथा धरके रोय। मनखे गड़गे आँख मा,दुख हिरदय मा होय। मन मंदिर मा राखले,प्रभु ला तँय…

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निषाद राज के दोहा अउ गीत

पांव के पैजनियाँ…आ… संझा अउ बिहनिया। गुरतुर सुहावै मोला तान ओ, गड़गे करेजवा मा बान ओ। पाँव के पैजनिया….आ…आ.. झुल-झुल के रेंगना तोर,जिवरा मोर जलावै। टेंड़गी नजर देखना तोर,जोगनी ह लजावै।। नाक के नथुनिया…..आ.. संझा अउ बिहनिया। झुमका झूलत हावै कान ओ, गुरतुर सुहावै मोला तान ओ। पाँव के पैजनियाँ…… चन्दा कस रूप तोर,चंदैनी कस बिंदिया। सपना देखत रहिथौं,नइ आवय निंदिया।। गोड़ के तोर बिछिया…आ.. संझा अउ बिहनिया। होगेंव मँय रानी हलकान ओ, गुरतुर सुहावै मोला तान ओ। पाँव के पैजनियाँ……. तोर मुसकाये ले ओ, फूल घलो झरत हे। देख…

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निषाद राज के दोहा

माने ना दिन रात वो, मानुष काय कहाय। ओखर ले वो पशु बने, हात-हूत मा जाय।। भव ले होबे पार तँय, भज ले तँय हरि नाम। राम नाम के नाव मा, चढ़ तँय जाबे धाम।। झटकुन बिहना जाग के, नहा धोय तइयार। घूमव थोकन बाग में, बन जाहू हुशियार।। कहय बबा के रीत हा, काम करौ सब कोय। करहू जाँगर टोर के, सुफल जनम हा होय।। जिनगी में सुख पायबर, पहली करलौ काम। कर पूजा तँय काम के, फिर मिलही आराम।। रात जाग के का करे, फोकट नींद गँवाय। दिन…

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छंदमय गीत- तोर अगोरा मा

तोर अगोरा मा रात पहागे, देखत-देखत आँखी आ गे। काबर तँय नइ आए ओ जोही, आँखी आँसू मोर सुखागे।।1।। दिन-दिन बेरा ढरकत जावै, तोर सूध मा मन नइ माढ़े। गोड़ पिरागे रद्दा देखत, कुरिया तीर दुवारी ठाढ़े।।2।। सपना देखत रात पहावँव, गूनत-गूनत दिन बित जावै। चिन्ता मा महुँ डूबे रहिथौं, अन-पानी नइ घलो खवावै।।3।। दुनिया जम्मो बइरी लागै, दया-मया नइ जानै संगी। का दुख ला मँय तोला काहौं, मोरो मन नइ मानै संगी।।4।। जिनगी मोरो ओखर बस में, काहीं कुछु नइ भावय मोला। होय अबिरथा दुनिया मोरो, कइसे बाँचय ए…

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आँखी मा आँखी

आँखी मा आँखी तँय मिला के देख ले। जिनगी के बीख ला पीया के देख ले।। आँखी मा आँखी……… पथरा के मुरती नो हँव महुँ मनखे आँव, नइ हे बिसवास तँय हिलाके दे ख ले। आँखी मा आँखी……… हिरदे मा तोर नाँव के लहू दउड़त हावै, धक-धक ए जिवरा धड़काके देख ले। आँखी मा आँखी………. नइ हे कोनों तोर सहीं नाँव के पुछइया, मया के चिन्हारी ओ चिनहाके देख ले। आँखी मा आँखी…………. दुनिया मा मया के बजार हावै “बोधन”, एको दिन तो तहुँ हा बिसाके देख ले। आँखी मा…

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दोहा छंद म गीत

काँटों से हो दोस्ती, फूलों से हो प्यार। इक दूजे के बिन नहीं, नहीं बना संसार।। काँटों से हो दोस्ती……………….. कठिन डगर है जिंदगी, हँस के इसे गुजार। दुनिया का रिश्ता यहीं, निभता जाये यार।। काँटों से हो दोस्ती……………….. दुख हो सुख हो काट लो, ये जीवन उपहार। राम नाम में जोड़ लो, साँसों का ये तार।। काँटों से हो दोस्ती……………….. धूप छाँव बरसात हो, मिले ग़मों की मार। हँसता हुआ गुलाब ज्यों, छाये सदा बहार।। काँटों से हो दोस्ती………………… खो जाओ मजधार में, चलता हुआ बयार। हरि का मनमें…

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रोवत हे किसान

ए दे मूड़ ला धरके रोवत हे किसान। कइसे धोखा दे हे मउसम बईमान।। ए दे मूड़ ला धरके……………….. झमाझम देख तो बिजली हा चमके। कहुँ-कहुँ करा पानी बरसतहे जमके।। खेती खार नास होगे देखव भगवान। ए दे मूड़ ला धरके………………… करजा नथाय हावय दुख होवय भारी। गाँव छोड़ शहर कोती जाय सँगवारी।। कतका झेल सहय डोलत हे ईमान। ए दे मूड़ ला धरके…………………. सुन भइया सुन लव बन जावव सहाई। ढाढस बँधावौ संगी झन होय करलाई।। सपना देखय सुख के होवय गा बिहान। ए दे मूड़ ला धरके………………….. बोधन…

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सेवा गीत : कोयली बोलथे

कोइली बोलथे आमा डार, भवानी मइया तोर अँगना। उड़े झर झर चुनरी तुम्हार, भवानी मइया तोर अँगना।। कोइली…………………. मैना मँजूर चुन चुन फ़ुलवा, मोंगरा केकती ला लावय। गूँथे सुघ्घर गरवा के हार, भवानी मइया तोर अँगना। कोइली…………………. माता के चरन तीर बइठे, लँगूर चँवर ला डोलावय। धूप-दीप आरती उतार, भवानी मइया तोर अँगना। कोयली………………… नव तोर कलशा ला साजे, नव ज्योति मँय जलावँव। नित संझा बिहना तियार, भवानी मइया तोर अँगना। कोयली………………… बोधन राम निषाद राज सहसपुर लोहारा,कबीरधाम (छ.ग.) [responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]

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डोंगरी पहाड़ में

डोंगरी पहाड़ में ओ, अमरईया खार में। दूनों नाच लेबो ओ.. करमा के डाँड़ में।। डोंगरी पहाड़ में…….. आमा के पाना हा डोलत हावै ओ। सुआ अउ मैना हा बोलत हावै ओ।। ए बोलत हावै ओ…. रुखवा के आड़ में। दूनों नाच लेबो ओ…. करमा के डाँड़ में। डोंगरी पहाड़ में………. मया के बिरुवा हा फूलत हावै गा। तोर मोर भेद अब खुलत हावै गा।। ए खुलत हावै गा……फुलवा के मार में। दूनों नाच लेबो गा…..करमा के डाँड़ में। डोंगरी पहाड़ में……… फुले हे परसा ए दे लाली लाली ओ।…

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