Budhram Yadaw

सुकवि बुधराम यादव के सरस कविता संग्रह ”गॉंव कहॉं सोरियावत हें” गुरतुर गोठ म लउहे

नवा जमाना अउ समे के परभाव लेगॉंव-गँवई के असल सरूप सिरावत हे,चाल-चरित्‍तर नंदावत हे अउ गुन ह जनव गंवावत हे।गॉंव दिनों… Read More

13 years ago

दू आखर …..

............................ये दे दू नवम्बर २००८ के "गुरतुर गोठ" ला मेकराजाला में अरझे ठाउका एक महीना पूर गय. सत अउ अहिंसा… Read More

16 years ago

अपन हाथ अउ जगन्नाथ

मुंड़ मे छैइहा तन भर बस्तर भूखन करंय बियारी उजियारी के समुन्हें भागे घपटे सब अंधियारी सबके होवय देवारी अइसन… Read More

16 years ago

गोठ गुने के गोठियांथव

गोठ गुने के गोठियांथव थोरुक सुन लव संगवारी न कउनो निंदा फजीहत न कउनो के चारी निरबंसी के धन मत… Read More

16 years ago

चेरिया का रानी बन जाहय

आदरणीय सुकवि बुधराम यादव संपादक "गुरतुर गोठ", वरिष्ठ साहित्कार बिलासपुर छत्तीसगढ़ के प्रकाशनाधीन छत्तीसगढ़ कबिता संग्रह " मोर गाँव कहाँ… Read More

16 years ago

गुरतुर गोठ (गीत) सुकवि बुधराम यादव

तोला राज मकुट पहिराबो ओ मोर छत्तीसगढ़ के भाषा तोला महरानी कहवाबो ओ मोर छत्तीसगढ़ के भाषा तोर आखर में… Read More

16 years ago

दू आखर…. : (सम्पादकीय) बुधराम यादव जी

साहित्य कउनो भाखा , कउनो बोली अउ कउनो आखर मा लिखे जाये . जब ओला समाज के "दरपन" कहे जाथे… Read More

16 years ago