नवा जमाना अउ समे के परभाव लेगॉंव-गँवई के असल सरूप सिरावत हे,चाल-चरित्तर नंदावत हे अउ गुन ह जनव गंवावत हे।गॉंव दिनों दिन सहर कति सरकत जाथे,ये सबके पीरा ले सरोकार खग-पंछी लमनखे ले जनव जादा हावय।तभे तो ये सगरी कविता कोईली के कलपबअउ मैना के बिलपब ले सराबोर हे। हमर गुरतुर गोठ के प्रबंध संपादक आदरनीय सुकवि बुधराम यादव के पाछू दिनन सरस कविता संग्रह ‘गांव कहॉं सोरियावत हे’ के प्रकासन होए हे। जेखर विमोचन छत्तीसगढ़ साहित्य समिति के प्रदेस स्तरीय सम्मेलन में होइस। ये कविता संग्रह म संग्रहित कविता मन ला…
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दू आखर …..
……………………….ये दे दू नवम्बर २००८ के “गुरतुर गोठ” ला मेकराजाला में अरझे ठाउका एक महीना पूर गय. सत अउ अहिंसा के संसार मे आज अलख जगाये के जबर जरुरत हवय. काबर के चारो कती हलाहल होथे. कहे तुलसी के दोहा के ..” तुलसी मीठे वचन ते सुख उपजत चहुँ और ” .. गजब सारथक हवय. बैर भाव, इरसा, जलन, डाह जमो के अगिन जुडवाय बर जनव जुड पानी कस काम करथे मीठ बोली हा. “गुरतुर गोठ” के जनम अउ उदगार बस ये ही भाव ला हिरदे में धरके होये हवय…
Read Moreअपन हाथ अउ जगन्नाथ
मुंड़ मे छैइहा तन भर बस्तर भूखन करंय बियारी उजियारी के समुन्हें भागे घपटे सब अंधियारी सबके होवय देवारी अइसन सबके होवय देवारी …. **************************** अपन हाथ अउ जगन्नाथ काबर तभो ले रोथन अपने घर मे हमन जवंरिहा बाराबाट के होथन ***** सगरी घर के मालिक हो गयं परछी के रहवइया जोतनहा बैला कस हो गयं गोल्लर कस दहकइया ओतिहा होके फुरसतहा कस फुंसर फुंसर के सोथन.. अपने घर मे आज जवंरिहा बाराघाट के होथन हमर ओरिया घाम घलईया महल सरग में तानय हमर देहे पेज पियईया हलवा पूडी छानय…
Read Moreगोठ गुने के गोठियांथव
गोठ गुने के गोठियांथव थोरुक सुन लव संगवारी न कउनो निंदा फजीहत न कउनो के चारी निरबंसी के धन मत लेवव सतबंसीन के लाज गरीब दूबर के आह लेवव झन कुल मे गिरथे गाज सोरह आना सच जानव ये नोहय निचट लबारी न कउनो निंदा फजीहत न……… माया पिरीत में सबला बान्धय पाबन जमो तिहार नता गोता में भेद करांवय लंदर फंदर बेवहार समुनहे गुरतुर पीठ पाछू में मारे जबर कटारी न कउनो निंदा फजीहत न……… गरज परे के गुरान्वट अउ गिरे परे घरजाइन दुखला दोहरा करथे जइसे बिदा बेरा…
Read Moreचेरिया का रानी बन जाहय
आदरणीय सुकवि बुधराम यादव संपादक “गुरतुर गोठ”, वरिष्ठ साहित्कार बिलासपुर छत्तीसगढ़ के प्रकाशनाधीन छत्तीसगढ़ कबिता संग्रह ” मोर गाँव कहाँ सोरियावत हंव “ ले एक-एक ठन कबिता रूपी फूल चुन के “सरलग” हम आपमन के सेवा म परसतुत करत हन. गत अंक में आपमन पढेव …. “तोला राज मकुट पहिराबो ओ मोर छत्तीसगढ़ के भाषा, तोला महरानी कहवाबो ओ मोर छत्तीसगढ़ के भाषा…”आज के अंक म अनंद लेवव एक ठन अउ सुघ्घर रचना के अउ अपन असीरवाद देवव हमला. ” चेरिया का रानी बन जाहय………” काबर कुलकत हवस भुलउ राज…
Read Moreगुरतुर गोठ (गीत) सुकवि बुधराम यादव
तोला राज मकुट पहिराबो ओ मोर छत्तीसगढ़ के भाषा तोला महरानी कहवाबो ओ मोर छत्तीसगढ़ के भाषा तोर आखर में अलख जगाथे भिलई आनी बानी देस बिदेस में तोला पियाथे घाट-घाट के पानी तोर सेवा बर कई झन ऐसन धरे हवंय बनबासाओ मोर छत्तीसगढ़ के भाषा…. रयपुर दुरुग ले दिल्ली तक झंडा तोर लहराथे साँझ बिहनिया बिलसपुरिहा डंका तोर बजाथे आज नहीं तो कल भले फेर मन के मिटे निरासाओ मोर छत्तीसगढ़ के भाषा…. रायगढ़ सारंगढ़ सरगुजा जसपुर के जमींदारी कोरबा कोरिया चांपा जांजगीर तोर जबर चिनहारी कबीरधाम के सत…
Read Moreदू आखर…. : (सम्पादकीय) बुधराम यादव जी
साहित्य कउनो भाखा , कउनो बोली अउ कउनो आखर मा लिखे जाये . जब ओला समाज के “दरपन” कहे जाथे तब सिरिफ ओकर चेहरा देखाए भर बर नोहय , समाज के रंग रूप ल सँवारे के, कुछ सुधारें के, सोर अउ संदेस घलव साहित्य ले मिले चाही . साहित्य ला अबड़ जतन ले सकेले अउ सहेजे गियान के खजाना घलव कथें . समे के पारखी छलनी मा एकर छनावब हा तभो जरुरी च हो जाथे . छनाये के बाद बांचे-खोंचे सार जिनिस हा देस अउ दुनिया के आगू मा समे…
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