सी.पी.तिवारी ‘सावन’ के छत्‍तीसगढ़ी गज़ल

गरिबहा मन ला रोजे रोज अपन करम उठाना हे संहीच मा भइया बडहरे मन के ये जमाना हे। का कोनो ला दीही ओ बपुरा भिखमंगा हा जुच्‍छा-जुच्‍छा गाना हे, जुच्‍छा अउ बजाना हे।बाप के कमई मा भला बेटा ला का लागही फोकट के खाना हे अउ गुलछर्रा उड़ाना हे। जेखर उठना, बइठना हे मंतरी, संतरी संग जेखर गोठ हा भईया इंहा सोला आना हे। बने के संगति बने अउ गिनहा के गिनहा गहूं के संग किरवा ला घलो पिसाना हे।चलव सब्‍बो जुर मिल के करन हमन परन छत्‍तीसगढि़या भाखा ला…

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