मोर भारत भूइयाँ ल परनाम

देस के बीर जवान जेन करिस काम महान, देस के आजादी बर गवाँ दिस परान, अइसन पुन के माटी म धरेंव जनम। मोर भारत भूइयाँ ल परनाम।। धन हे वो कोरा जेमा बीर खेलिस, दूध के करजा ल लहू देके चुकइस बेरा अब आय हे लेके ओखर नाम, मोर भारत भूइयाँ ल परनाम।। अंगरेज मन के कारन हमर जिनगी होगे रहिस हराम, भगतसिंह,गांधी मन के मेहनत के हरय ये परिनाम, वोखरे सेती करत हाबन बेफिकर होके काम। मोर भारत भूइयाँ ल परनाम।। अजादी के बाद समसिया आगे महान, जेकर बाबा…

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दारू के गोठ

जेती देखबे तेती, का माहोल बनत हे। सबो कोती ,मुरगा दारू के गोठ चलत हे।। थइली म नइहे फूटी कउड़ी,अउ पारटी मनाही। चांउर ल बेंच के, दारू अउ कुकरी मंगाही।। मुरगा संग दारू ह,आजकाल के खातिरदारी हे। खीर पूड़ी के अब, नइ कोनो पुछाड़ी हे।। दारू के चक्कर म, छोटे बड़े के नाता ल भुलागे। आधा मारबे का कका,कइके मंगलू ह ओधियागे।। नंगत कमाय हे कइके, बेटा बर लानत हे ददा ह। अब तो संगे संग म पीयत हे, कका अउ बबा ह।। होवत संझाती भट्ठी म, भारी भीड़ दिखत…

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सबो नंदागे

कउवा के काँव काँव। पठउंहा के ठउर छाँव। भुर्री आगी के ताव। सबो नदागे।। खुमरी के ओढ़इ। कथरी के सिलइ। ढेकना के चबइ। सबो नदागे।। हरेली के गेड़ी चढ़इ। रतिहा म कंडील जलइ। कागज के डोंगा चलइ। सबो नदागे।। नांगर म खेत जोतइ। बेलन म धान मिंजइ पइसा बर सीला बिनइ। सबो नदागे।। ममा दाई के कहानी किस्सा। संगवारी संग खेलइ तीरी पासा। मनोरंजन के गम्मत नाचा। सबो नदागे।। रेडियो के समाचार सुनइ। सगा ल चिट्ठी लिखइ। सिलहट पट्टी म लिखइ-पढ़इ। सबो नदागे।। टेंड़ा म पानी पलोइ। ढेंकी म धान…

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बेरोजगारी के पीरा

का बतावंव संगी मोर पीरा ल,नींद चैन नइ आवत हे। सुत उठ के बड़े बिहनियाँ,एके चिंता सतावत हे। नउंकरी नइ मिलत हे,अउ बेरोजगारी ह जनावत हे। दाई ददा ह खेती किसानी करके,मोला पढ़हावत हे। फेर उही किसानी करे बर,अब्बड़ मोला सरम आवत हे। पर के नउंकरी करे बर,मन ह मोर अकुलावत हे। अँगूठा छाप मन कुली कबाड़ी करके,पंदरा हजार कमावत हे। फेर मँय इस्नातक पास ल,पाँच हजार में घलो कोनो नइ बलावत हे। पढ़त-पढ़त सोचंव कलेक्टर बनहूँ,अब चपरासी बनना मुस्किल पड़त हे। नानकिन चपरासी बर,पी.एच.डी वाले मन फारम भरत हे।…

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