नान्हे कहिनी: लइकाहा बबा

नउकरी ले रिटायर होये के बाद गांव ले ये सोच के अपन बेटा कना शहर आ गे कि बांचे जिनगी बेटा कने नाती मन संग खेलत खावत कट जाही। संझा सात बछर के नाती संग सहर के एक मात्र बगीचा मा घूमे बर आ गिन। वो हा देखिन बगीचा मा जम्मो मइनखे घूमत-फिरत हावय, कोनो-कोनो बइंच मा या भुंइया के घांस मा बइठ के गोठियावत हावय। नान-नान लइकामन घांस मा घोंडत हावय। सूरज देवता पछिम मा डूबत हावय। चिरई-चिरगुन मन अपन-अपन खोदरा तनि लहुटत हावय। वो ह अपन नाती संग…

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बेनी मा फूल गूंथे के दिन

बेनी मा फूल गूंथे के दिनफूल वाले घाटी फेर होगेसुहागिनकली मन के मुस्काए के दिन,धूप छांह के छेड़ छाड़ के दिनभंउरा मन के टोली उतरगेबाग बगीचा माकोनो मुस्काए मंद-मंदगुल मोहर के तरि मा,कोइली कुहके अमरइयापपीहा वन उपवनलाल दहकत टेसू वाला दिन,अमलताश डाली-डाली माआ गे निखारदे गे संदेशमउसम के अखबारकोनो गांव सजे मंड़वाकोनो गांव चले बारातगेहूं अउ सरसों केझूमे झामे के दिनचंदन वन ला चूम केआवत हवा देगे संकेतदूरिहा, बड़ दूरिहा तकदिखत हावय पिंयर पिंयरसरसों के खेतगोड़ मा माहूर रचाए केबेनी मा फूल गूंथे के दिन चेतन आर्यबसन्ती निवास, सुभाष नगरमहासमुंद

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