असीस देबे वो असीस देबे वो तोर सरन म आएन, माँ असीस देबे वो तहीं भवानी, तहीँ सारदा, तहीं हवस जगदम्बा तोर परतापे टोरिन बेन्दरा भालू मन गढ़लंका माँ असीस देबे वो कलकत्ता म काली कहाए, मुम्बर्ड म मुम्बर्ड बस्तर म दन्तेस्वरी तय, बमलाई माँ असीस देबे वो आगी पावय ताप तोर ले, पानी ह रस पावय सुरूज चंदरमा तोर भरोसा अग-जग ल परकासँय माँ असीस दैबै वो बरम्हा सिरजय, बिसनू पालय, महादेव सँहारय तौरै किरपा पा के दाई एमन देव कहाथंय माँ असीस देबै वो कलस-जौत जब बरय झमाझम…
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छत्तिसगढ़ महतारी के बन्दना : दानेश्वर शर्मा के गीत
छत्तिसगढ़ के मोर महतारी भुइयॉं अब्बड़ घन हे तोर अँचरा के छइहाँ सुर्रा सॉही महानदी पैरी जस इन्द्रावती अउ शिवनाथ हे मुरुवा के हर्रइयॉ छत्तिसगढ़ के मोर महतारी भुइयाँ सिरि भगवान दमउ दहरा म रिसभ देव अवतार लिहिस रिसि वशिष्ठ भार्गव अगस्त्य के तपोभूमि सरगुजा रिहिस दसरथ घर पुत्रेष्टि करइया श्रृंगी रखिस सिहावा परवत म आसन्दी दुन कैलाश अमरकंटक जिहाँ के गोबिन्द गुरुसाधक आदि शंकराचार ल ग्यान देवइया छत्तिसगढ़ के मोर महतारी भुइयाँ सिरपुर साखी हमर साख के, राजिम के राजिव लोचन चम्पारन के बल्लभचारी, बगराइस वैष्णव दरसन डोंगरगढ के…
Read Moreतपत कुरू भइ तपत कुरू
असीस देवे वो देवारी अउ दुकाल-अकाल बेटी के बिदा पन्द्रह अगस्त मडई देखे जाबो उँकरे बर सनमान मडइके के मया इही किसम होना चाही तपत कुरु लछमी – पारवती गोठ ले दे मोर खर लुगरा भज लेबे गा तोरेच खातिर अन्नपुरना गउरी सास डोकरी लेवना चोरी निक लागय चन्दा लेहूं अरझ गेहे तुलसी के कहिनी सारी गुरु नानक सारा छत्तीसगढ महतारी गउरी साँही भउजी बिजली चमकथय मोरो मन कहिथय मैं बुडे हाबँव दरस नई नागिन के फन ल तैय चल नई बाँचय तील्मती-चाँउरमती ढेरा घूमत चलबों संगे संग गारव असें…
Read Moreप्रशासनिक शब्दकोश बनइया मन ल आदर दव, हिनव झन
छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग दुवारा छपवाय हिन्दी-छत्तीसगढ़ी प्रशासनिक शब्दकोश भाग एक के बारे में कुछ लेखक मन के बिचार पढ़े के मउका लगिस। खुसी होइस के छत्तीसगढ़ी भाषा खातिर जागरिति हवय। दू चार बात मोरो मन म उठिस, तोन ल बताना जरूरी समझत हँव। ए शब्दकोश ल राजभाषा आयोग ह नइ बनाय हे। विधानसभा सचिवालय ह साहित्यकार मन के कार्यशाला लगा के ऐला तइयार करिस अउ राजभाषा ल छापे बर भेज दिस। आयोग ह बहुत झन साहित्यकार अउ भाषा विशेषज्ञ मन ले एला जँचवाइस अउ उँकर सहमति होय के बाद छपवाइस।…
Read Moreतपत कुरु भइ तपत कुरु
तपत कुरु भइ तपत कुरु बोल रे मिट्ठु तपत कुरु बडे बिहनिया तपत कुरु सरी मँझनिया तपत कुरु फ़ुले-फ़ुले चना सिरागे बाँचे हावय ढुरु-ढुरु ॥ चुरी बाजय खनन-खनन झुमका बाजय झनन-झनन गजब कमैलिन छोटे पटेलीन भाजी टोरय सनन-सनन केंवची-केंवची पाँव मा टोंडा पहिरे हावय गरु-गरु ॥ बरदि रेंगीस खार मा महानदी के पार म चारा चरथय पानी पीथँय घर लहुँटय मुँदिहार म भइया बर भउजी करेला राँधे हावय करु-करु ॥ पानी गिरथय झिपिर-झिपिर परछी चुहथय टिपिर-टिपिर गुरमटिया सँग बुढिया बाँको खेत मा बोलय लिबिर-लिबिर लइका मन सब पल्ला भागँय डोकरी…
Read Moreगीत : सारी
मोर सारी परम पियारी गा रइपुरहिन अलग चिन्हारी गा कातिक मा जइसे सियारी गा फ़ागुन मा जइसे ओन्हारी गा हाँसय त झर-झर फ़ुल झरय रोवय त मोती लबारी गा ॥ एक सरीं देह अब्बड दुब्बर झेलनाही सोंहारी जस पातर मछरी जस घात बिछ्लहिन हे हंसा साही उज्जर पाँखर चर चर लइका के महतारी फ़ेर दिखथय जनम कुँवारी गा ॥ लेवना साँही चिक्कन दिखथे कोयली साँही गुरतुर कहिथे न जुड सहय न घाम सहय एयर कन्डीसन म रइथे सरदी म गोंदा फ़ुल झँकय गरमी म भाजी अमारी गा ॥ आँखी म…
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