आज मोर अंगना म छागे उजियारी चमकत जगमगावत आगे देवारी। चैत मानेन रामनवमी, बैसाख अक्ती ल। पुतरा-पुतरी बिहा करेन, चढ़ायेन तेल हरदी ल। बिहा गाये बर आगिन संगवारी। आज मोर अंगना म छागे उजियारी ………… जेठ रहेन भीमसेनी निर्जला के उपास ल। का बताओं भैया मैं हर तिखुर के मिठास ल। लगिगे अशाढ़ रे भाई बादर गरजगे न। मोतिन कस बूँद भैया पानी हर बरसगे न। लगिस सावन धरती म छागे हरियाली। आज मोर अंगना म छागे उजियारी ………… राखी पुन्नी आईस भाई बहिनी के पावन गा। भादो आईस तीजा लेके…
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बरसै अंगरा जरै भोंभरा
चढ़के सरग निसेनी सुरूज के मति छरियागे हाय रे रद्दा रेंगोइया के पांव घलो ललियागे। बढ़े हावे मंझनिया संकलाए हे गरूआ अमरैया तरी हर-हर डोलत हे पीयर धुंकतहे रे बैहर घेरी-बेरी बुढ़गा ठाड़े हे बमरी पाना मन सबो मुरझागे हाय रे रद्दा रेंगोइया के पांव घलो ललियागे। भरे तरिया अंटागे रे कइसे थिरागे बोहत नरवा बिन पानी के चटका बरत हे मनखे मन के तरूआ चटका बरगे मनखे मन के तरूआ। नदिया घाट घलो जाके मंझधार म संकलागे। हाय रे रद्दा रेंगोइया के पांव घलो ललियागे। घर के रांपा कुदारी…
Read Moreछत्तीसगढ़ महतारी
अंचरा म फूले हे गोंदा माथा म चमकथे चंदा बगरे चंदैनी हे लुगरा म तोर तहीं हर छत्तीसगढ़ महतारी अस मोर भारत मां के दुलौरिन बेटी तोर सीतल छांव तोर सरन म परे हावैं सहर नगर गांव कोनो आईन हाथ पसारे सरबस ल दे डारे बांधे सब संग तैं मया के डोर तोर नांव ल सुनिन सबो परदेसिहा भाई करम ल गंठिया के झांकिन तोर दुवारी ल दाई कोनो ल नई दुतकारे सबके करम ल संवारे कर देहे सबके मुंह ल अंजोर मंझ म सहर जगर-मगर छें-छें म गांव बगरे…
Read Moreमधुमास
मन धरती के झुमरत हे आज रे चंदा चंदैनी के मड़वा छवाय बांधे मउर खड़े मधुमास रे मन धरती के झुमरत हे आज रे कुहकत हे कोइली हर डारा-डारा म नेवता देवत हावै पारा-पारा म नहावै धरती चंदैनी धारा म धीरे धीरे मुसकावै अकास रे मन धरती के झुमरत हे आज रे सरसों फूल लुगरा म हरियर हे अंचरा जूरा गुंथाये हे मोंगरा के गजरा लाली सेंदूर असन परसा के फूल जगमगावत हे दुलहिन के मांग रे मन धरती के झुमरत हे आज रे हांसत हे खोखमा करनफूल बनके पंखुरी…
Read Moreबिहान होगे रे
बैरी-बैरी मन मितान होगे रे हमर देश म बिहान होगे रे तीन रंग के धजा तिरंगा धरे हे भारत मइया केसरिया हर त्याग सिखोथे सादासत्य बोलइया हरियर खेत के निसान होगे रे। हमर देश म बिहान होगे रे बीच म चरखा गांधी बबा के गोठ ल सुरता करथे सत्य अहिंसा के रद्दा छोड़े ले गोड़ म कांटा गड़थे इही बात के गियान होगे रे। हमर देश म बिहान होगे रे भूमिहीन भाई मन बन गिन अब भुइंया के स्वामी कांध म कांध ल जोर के भैया करथे खेती किसानी अब…
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