लबरा होगे राजा अउ खबडा होगे हे मंत्रीददा मन ले बाच पायेन त टीप देथे संतरी पांव के पथरा ल आ मूड मे कचारइही त आये गा छ्त्तीसगढ सरकार ॥ बनीहारी छोड अउ नेता के भाषण सुनबिना जीव के गोठ ला दिनभर गुन गुडी मे बईठ अउ रोज माखुर फ़ांकचुनई के दारू पी,गोल्लर कस मात चरन्नी बुता अउ बरन्नी परचारइही त आये गा छ्त्तीसगढ सरकार ॥ घीसलत जिंनगी अउ मुँह भर खासीबटकी मा नइ हे खाये बर बासी लबरा हे सबो झन, झन हो बिसवाशीपंजा हो कमल हो या हो…
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जसगीत अउ छ्त्तीसगढ – दीपक शर्मा
जब भादो के कचारत पानी बिदा लेथे अउ कुंवार के हिरणा ला करिया देने वाला घाम मुड मा टिकोरे ले धर लेथे। धान कंसाये ला धर लेथे ,तरीया के पानी फ़रीया जथे खोर के चिखला बोहा जथे अउ चारो खूंट सब छनछन ले दिखे लागथे । हरियर लहरावत फसल अउ अपन मेहनत ला सुफल होवत देख के गांव गांव म सबे मनखे सत्ती दाई के पूजा म मगन हो जथे, जुगुर-जुगुर जोत चमके लागथे, माता देवाला मा जसगीत अउ मांदर के थाप झमके लागथें। मांदर के जसगीत से उही नता…
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जब भादो के कचारत पानी बिदा लेथे अउ कुंवार के हिरणा ला करिया देने वाला घाम मुड मा टिकोरे ले धर लेथे। धान कंसाये ला धर लेथे ,तरीया के पानी फ़रीया जथे खोर के चिखला बोहा जथे अउ चारो खूंट सब छनछन ले दिखे लागथे । हरियर लहरावत फसल अउ अपन मेहनत ला सुफल होवत देख के गांव गांव म सबे मनखे सत्ती दाई के पूजा म मगन हो जथे, जुगुर-जुगुर जोत चमके लागथे, माता देवाला मा जसगीत अउ मांदर के थाप झमके लागथें। मांदर के जसगीत से उही नता…
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