Devedra Kumar Singha “Aajad”

कबिता : हाबे संसो मोला

हाबे संसो मोला, होगे संसो मोला ये देश के।भाई-भाई भासा बर लड़थे, बिपदा गहरावथे महाकलेस के॥मंदिर-मस्जिद के झगरा अलग,सुलगावत रहिथे… Read More

13 years ago

कबिता : ये देस कइसे-कइसे होवत हे

ये देस म कइसे-कइसे होवत हे।जिहां बोहावय मया-पिरीत के गंगा, लहरावय जिहां लहर-लहर तिरंगातिहां मनखे-मनखे मन के हिरदे रोवत हे॥अती… Read More

13 years ago

जनम भूमि : कहिनी

किसमत कभू धीरे-धीरे बदलथे, कभू उदुपले। ऊंकरों गांव ले लाने मोटरा म सुख के जोरन जोराय लगिस। ऊंकर गुत्तुर-गुत्तुर छत्तीसढ़िया… Read More

14 years ago