समारू बबा ल लोकवा मारे तीन बछर होगे रिहिस, तीन बछर बाद जब समारू बबा ल हस्पताल ले गांव लानीस त बस्ती भीतर चउक में ठाड़े पीपर रुख के ठुड़गा ल कटवत देख के, सत्तर बछर के समारू के आँखी कोती ले आँसू ढरक गे। बबा के आँखी में आँसू देख के पूछेंव कइसे बबा का बात आय जी, त बबा ह भरे टोंटा ले बताइस, कथे सुन रे धरमेंद तैं जेन ये पीपर रूख ल देखत हस जेन ल सुखाय के बाद काटत हवे तेन ल हमर बबा के…
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सेल्फी ले ले
नवा चलागन चले है संगी, जेकर चरित्तर काला बतांव, कोनो बेरा अउ कोनो जघा मैं सेल्फी ले बर नइ भुलांव। छानी में बइठे करीया कउवा के संग में, कचरा फेके के झऊहा के संग में, दारू भट्ठी में पउवा के संग में, चाहे कोनो पकड़ के भले ठठाय, फेर सेल्फी लेय बर नइ भुलाय। चाहे घुमत राहंव मेहा जंगल झाड़ी, चाहे गे राहंव मेहा आंगन बाड़ी, चाहे चलत राहय रेलगाड़ी, मैं पटरी में कट के भले मर जांव, फेर सेल्फी लेय बर नइ भुलांव। तुरते जन्मे टूरा के संग में,…
Read Moreअब्बड़ सुग्घर मोर गांव
जिहाँ पड़की परेवना, सुवा अउ मैना, बढ़ नीक लगे, छत्तीसगढ़ी बोली बैना, कोयली ह तान छेड़े अमरइया के छांव, अब्बड़ सुग्घर हमर गंवई गांव जिहाँ नांगर, बईला संग नंगरिहा, गवाय करमा ददरिया, आमा अमली के छईहा, चटनी संग बासी सुहाथे बढ़िया, पैरी के रुनझुन संवरेगी के पांव, अब्बड़ सुग्घर हमर गंवई गांव डोकरी दाई के कहानी, नरवा नदिया के पानी, अब्बड़ सुग्घर इहां के जिनगानी, ठउर ठउर मिलही मितान के मितानी, कतेक ल मैंहा बतांव, अब्बड़ सुग्घर हमर गंवई गांव। – धर्मेन्द्र डहरवाल “मितान” सोहागपुर जिला बेमेतरा
Read Moreमोर देश के किसान
नांगर बईला धर निकलगे, बोय बर जी धान, जय हो, जय हो जी जवान , मोर देश के किसान। बरसत पानी, घाम पियास में जांगर टोर कमाथस, धरती के छाती चीर के तैहा, सोना जी उपजाथस, माटी संग में खेले कूदे, हरस माटी के मितान, जय हो, जय हो जी जवान, मोर देश के किसान। सुत उठ के बड़े फजर ले माटी के करथस पूजा, तोर सही जी ये दुनिया मे नई है कोनो दूजा, दुनिया भर के पेट ल तारे, तै भुईया के भगवान, जय हो, जय हो जी…
Read Moreबइरी जमाना के गोठ
काला बताववं संगी मैं बैरी जमाना के गोठ ल, जेती देखबे तेती सब पूछत रहिथे नोट ल, कहूँ नई देबे नोट ल, त खाय बर परथे चोट ल, काला बताववं संगी मैं बैरी जमाना के गोठ ल। जमाना कागज के हे, इहिमा होथे जम्मो काम ग, कही बनवाय बर गेस अधिकारी मन मेर, त पहिली लेथे नोट के नांव ग, अलग अलग फारम संगी सबके फिक्स रहिथे दाम ग, अउ एक बात तो तय हे, जभे देबे नोट तभे होही तोर काम ग, ऊपर ले नीचे खवाय बर परथे, लिखरी…
Read Moreजब बेंदरा बिनास होही
वो दिन दुरिहा नई हे, जब बेंदरा बिनास होही, एक एक दाना बर तरसही मनखे, बूंद बूंद पानी बर रोही, आज जनम देवैया दाई-ददा के आँखी ले आँसू बोहावत हे, लछमी दाई कस गउ माता ह, जघा जघा म कटावत हे, हरहर कटकट आज मनखे, पाप ल कमावत हे, नई हे ठिकाना ये कलजुग में, महतारी के अचरा सनावत हे, मानुष तन में चढ़े पाप के रंग ल, लहू लहू में धोही, वो दिन दुरिहा नई हे, जब बेंदरा बिनास होही। भूकम्प, सुनामी अंकाल, जम्मो संघरा आवत हे, आगी बरोबर…
Read Moreससुर के नखरा
बिहाव के सीजन चलत हे, महु टुरी देखे बर गेंव, टुरी के ददा ह पूछथे, तोर में का टैलेंट हे, मैं केहेंव टैलेंट के बात मत कर, टैलेंट तो अतका हे, गाड़ी हला के बता देथव, टंकी में पेट्रोल कतका हे। रिस्ता केंसल। दूसर जघा गेंव, टुरी के ददा ह कथे का करथस? मैं केहेंव, वइसे तो पूरा बेकार हव, मैं एक साहित्यकार अव, गांव गली चौराहा में कविता सुनाथव, मनखे के मन बहलाथव, समय नई मिलय मोला बईठ के सुरताय बर, अपने मजाक बना लेथव मनखे ल हसाय बर।…
Read Moreमोर भारत देश के माटी
चंदन के समान हे, जेकर पावन कोरा मे जनमे देवता कस बेटा किसान हे, इही माटी मे जनम धरेंव ये बात के मोला अभीमान हे। कोनो हिन्दु हे कोनो मुस्लिम, कोनो सिख ईसाई हे, मया पिरीत के डोरी बंधाहे, जम्मो झन ह भाई ये, रमायन, गीता, बाईबल कोनो मेर, कहुँ गुरू ग्रंथ अऊ कुरान हे, इही माटी मे जनम धरेंव ये बात के मोला अभीमान हे। हर मनखे के नस नस मे, जिहा दया मया ह बोहाथे, जिंहा कोयली बरोबर किसम किसम के, बोली भाखा सुहाथे, जिहा बखत परे मे…
Read Moreवाह रे रूपया तै महान होगे
जम्मो भागे तोर पाछु मे, सब तोरे गुन ल गावै, जावस तै जेती जेती, सब तोरे पाछु आवै, तोर आय ले बने बने सिधवा घलो बईमान होगे, वाह रे रूपया तै महान होगे. दुनीया पुजा तोर करे, घर घर मे तोर वास हे, तोर खातीर जम्मो जियत हे, तोरे भरोसा सांस हे, सबो जघा तहीं छाय हस अब तही ह भगवान होगे, वाह रे रूपया तै महान होगे. तै जदुहा हरस का मोहनी डारे हस, सरी दुनीया ल मोही डारे, जम्मो झन ल मारे हस, जब ले आय हस दुनीया…
Read Moreसुन वो नोनी के दाई, आदमी
सुन वो नोनी के दाई, जाड़ मे होगे बड़ करलाई, छेना लकड़ ल अब तै सितावन झन दे, गोरसी के आगी ल बुतावन झन दे, सिरतोन कहात हस नोनी के ददा, जाड़ ह होगे बड़े जन सजा, जाड़ के मारे पोटा ठीठुरगे, डोकरी डोकरा मन जाड़ मे मरगे, कथरी चद्दर ल जाड़ मे अब मड़ावन झन दे गोरसी के आगी ल बुतावन झन दे, हु-हु करथे दाँत किटकीटागे, कतको झन के परान उड़ागें, स्वेटर चद्दर जम्मो ओढ़े, कमरा कथरी सबो सिरागे, जाड़ गजब हे, नोनी ल कोनो डाहर जावन झन…
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