एकठन गांव म एकझिन लइका रहय। वोहा एक दिन दूसर गांव घूमे बर गीस। रद्दा म वोहा देखिस के ऊंट ह बगुला खात रहय अउ बगुला ह वोकर नरी म फंसगे। ऊंट ल सांस ले म तकलीफ होय लगिस। वोहा भुईंया म घोलंड के छटपटाय लागिस। अतका देखके ऊंट के मालिक ह एकझन बइद ल बला के लानिस। बइद ह जोर-जोर से कहिस- बागुल बारी जाय, थुला जाय कहिके ऊंट के नरी ल जोर- जोर से मारिस। बगुला ह फुट गे अउ ऊंट ह खडा होगे। वो लइका ह सब…
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- Dhruv Singh Thakur