बइला चरवाहा अउ संउजिया

अचानक वो दिन मैं अपन मूल इसकुल म जा परेंव। टूरी मन मोर चारोखुंट जुरिया गे। मैं ह टूरी मिडिल इसकुल के हेडमास्टर हरंव न। टूरी मन अपन-अपन ले पूछे ल धर लिन- “कहाँ चल दे रेहे बड़े सर, इहाँ कइसे नइ आवस? हमर मन के पढ़ई- लिखई बरबाद होवत हे। चर-चर झिन सर मन इसकुल म आना बंद कर दे हव?” “काय करबे नोनी हो, बइला चरवाहा मन हड़ताल म चल दे हे। कतको बरदी मन बइलच चरवाहा के भरोसा चलत हे। सरकार ह बरदी ठोंके बर संउजिया मन…

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एक चिट्ठी गनेस भगवान के नांव

सिरीमान गउरीनंदन गजानन महराज, घोलंड के परनाम। लिखना समाचार मालुम हो के- बीत गे असाढ़, नइ आइस बाढ़। बीत गे सावन, पानी कहिस नइ आवन। आगे भादो, परगे संसो, जपाथन माला हांका परगे पोला आला, बरसा झाला। पोला आला…।। अब गजानन देव, तूमन जघा-जघा बिराजमान होहू। पंडाल, मंच अउ झांकी के देखनी होही। गनेस पाख भर चारो मुड़ा आनी बानी के गनेस मूरती के चरचा होही। नरियर, धान, चांउर, करा बांटी, सुपारी, हरदी, मूमफल्ली, काजू, बदाम भगत मन ल जेने चीज सुहइस तेकरे मूरती बनवा के बइठारहीं। अतके होके छुट्टी…

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छत्तीसगढ़ के जुझारू पूत अउ महतारी भाखा के मयारुक साहित्यकार पं. सुंदर लाल शर्मा

छत्तीसगढ़ के प्रयाग राजिम के तिर म नदिया के पार म एक ठी गांव हे चमसुर। इहें जनम धरे रिहिन छत्तीसगढ़ महतारी के जुझारू बेटा पं. सुंदर लाल शर्मा। उंखर जनम 21 दिसम्बर 1881 के होय रिहिस। उंखर जिनगी के साल ल गिनबे तो उन जादा लंबा उमर नइ पाय रिहिन। सिरिफ 59 साल । अउ ये 59 साल म उंखर काम अइसे रिहिस के उंखर नांव जुग-जुग बर अमर होगे। उंखर राजनीति, समाज सेवा अउ साहित सेवा अतका ऊंचा दरजा के रिहिस के उन छत्तीसगढ़ के अगास म सुरज…

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सोनाखान के सोन: शहीद बीर नारायण सिंह

शहीद बीर नारायण सिंह ह छत्तीसगढ़ के पहिली शहीद आय। 10 सिदम्बर 1857 म अत्याचारी अंगरेज मन बीर नारायण सिंह ल फांसी दे दे रिहिन। ओखर अपराध अतेक रिहिस के सन् 1856 के भयंकर दुकाल के समे वो ह अपन जमींदारी के भूख से तड़फत जनता बर एक झन बैपारी के अनाज गोदाम के तारा टोर के उहां भराय अनाज ल जनता म बांट दे रिहिस। अतके नहीं ये बात के जानकारी लगिहांत वो समै के रइपुर के डिप्टी कमिश्नर ल घलो पठो दे रिहिस के ये काम वोला भूख…

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सोनाखान के सोन-शहीद बीर नारायण सिंह

शहीद बीर नारायण सिंह ह छत्तीसगढ़ के पहिली शहीद आय। 10 दिसंबर सन् 1857 म अतियाचारी अंग्रेज मन बीर नारायण सिंह ल फांसी दे दे रिहिन। ओखर अपराध अतके रिहिस के सन् 1856 के भयंकर दुकाल के समे वो ह अपन जमीन्दारी के भूख से तड़फत जनता बर एक झन बैपारी के अनाज गोदाम के तारा टोर के उंहा भराय अनाज ल जनता म बांट दे रिहिस। अतके न हि ये बात के जानकारी लगिहांत वो समै के रइपुर के डिप्टी कमिश्नर ल घलो पठो दे रिहिस के ये काम…

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मोला नेता बना देते भोले बाबा

घर म दुए झिन महतारी बेटा राहय। बेटा के नांव तो रिहिस बोधराम फेर जादा अक्कल-बुद्धि नइ फइलात रिहिस। पढ़ई-लिखई घलो ठिकाना नइ परिस। बर-बिहाव लगइया सगा मन पूछे, का करथे तोर बाबू ह तेखर जवाब देना मुसकुल हो जाय ओखर महतारी ल। भुंइया गरू रिहिस बोधराम ह। दिन भर लठंग-लठंग किजरय अउ खाय के बेरा घर म पइध जाय। ओखर दाई काहय-बेटा, कुछू काम बुता करे कर रे। बइठे-बइठे तरिया के पानी घलो नी पुरे गा। फेर बोधराम रिहिस चिक्कन हंड़िया। ओमा कहां पानी ठहरना हे। दाई के कहना…

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जवाब मांगत एक सवाल

हमर परदेस के भू-भाग के नांव छत्तीसगढ़ काबर परिस, कब ले परिस, एला अलग राज बनाय के मांग सबले पहिली कोन करिस, कोन पहिली एखर बिरोध म रिहिस अउ बाद म अघुवा बनगे, कइसे छत्तीसगढ़ राज हमला बरदान असन मिलिस, कब छत्तीसगढ़ी राजभासा के दरजा मिलिस, कब छत्तीसगढ़ी राजभासा आयोग बनिस, कोन तारीख ल छत्तीसगढ़ी राजभासा दिवस घोसित करे गिस? ये जम्मो सवाल के जवाब हे फेर मैं जेन सवाल के बात करत हौं वो सवाल ह छत्तीसगढ़ म दू-तीन साल ले घुमरत हे अउ घेरी-बेरी पूछे जावत हे। होइस…

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नवा रइपुर मोर रइपुर

हर छत्तीसगढ़ वासी ल अपन प्रदेस उपर गरब करना चाही। काबर के ये प्रदेस ह वोला अइसन गरब करे के भरपूर मउका देथे। ये ह प्रदेस के सांस्कृतिक बल आय जउन वोला अपन मन के बुता करे के अपन मन के बात केहे-बोले अउ लिखे के आजादी देथे। ये सांस्कृतिक ताकत ल हमर प्रदेस के महापुरुस मन हमेसा बढ़ईन। आजो ये काम होवत हे। हमन आज के महापुरुस ल पहिचाने म भले गलती करथन या चिन नइ सकन। ये ह कुछ सुवार्थी मन के चाल आय के उन सुवारथ के…

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अंग्रेजी के दबदबे के बीच छत्तीसगढ़ी की जगह

क्या आपने कभी किसी दुकान प्रतिष्ठान का नाम छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखा पाया है? व्यवसाय क्षेत्र में कहीं भी चले जाइए आप एक भी छत्तीसगढ़ी नाम पा जाएं तो यह कोलम्बस की अमरीका खोज जैसा पुरुषार्थ होगा। दुकानों प्रतिष्ठानों के अंग्रेजी नाम ही लोगों को लुभाते हैं। चाहे वह प्रतिष्ठान का मालिक हो या ग्राहक, अंग्रेजी नाम ही लोगों की जुबान पर चढ़े हैं। कस्बों देहातों में ये नाम देवनागरी लिपि में मिलेंगे। थोड़ा बड़े शहर में चले जाइए वहां तो आप देवनागरी लिपि में भी नाम देखने को तरस…

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छत्तीसगढ़ के बेटी कौसिल्या

हमर छत्तीसगढ़ के इतिहास कतका प्राचीन हे तेला माता कौसिल्या के कथा ले जाने जा सकथे। भगवान राम ह त्रेतायुग म माता कौसल्या के गर्भ ले अवतरे रिहिस। माता कौसिल्या के नाव ले ही छत्तीसगढ़ के प्राचीनता के परमान मिलथे। छत्तीसगढ़ ल वो जमाना म कौसल देस काहय। कौसल देस के रतनपुर म हैहयवंसी राजा भानुमान के राज रिहिस। इही भानुमान के बेटी रिहिस भानुमती जेन बाद म कौसिल्या नाव ले परसिध्द होइस। बाल्मीकि रामायेन के मुताबिक अयोध्या म युवराज दसरथ के अभिसेक के नेवता कौसल देस के राजा भानुमान…

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