घूमें फिरे के सऊख कोन ल नी राहय? फेर मोर सऊख ल झन पूछ। फटफटी, मोटर, कार, रेलगाड़ी मोटरबोट पानी जिहाज, सब म कई पईत घूम डरे हौं। बस हवाई जिहाज भर बांचे रिहिस। दसों साल ने योजना बनावंव फेर समजोगे नइ बइठय। केहे गे हे न बिन समजोग के कांही कारज सिध्द नइ होय […]
Tag: Dinesh Chouhan
छत्तीसगढ़ म रा.ब.क्ष.ण. के उच्चारन नई होय। अउ उच्चारन नई होय तिही पाय के जुन्ना विद्वान मन ये वर्न मन ल वर्नमाला म सामिल नइ करिन अउ छत्तीसगढ़ी वर्नमाला म ये वर्न मन गैरहाजिर हे। तौ ये वर्न मन ल जब मन लगिस सामिल कर लौ अउ जब मन लगिस छटिया दौ, ये नीति ल […]
कहिनी : ईरखा अउ घंमड के फल
– भगवान कृष्ण मंझनिया के आराम करत राहय। घमण्ड से चूर दुरयोधन भगवान के मुड़सरिया कोती बइठ के कृष्ण के नींद खुले के इंतजार करे लगथे। ओतके बेर अर्जुन घलो मदद के नाम से पहुंचथे। ओला देख के दुरयोधन के मन में भय समा जाथे के अर्जुन तो कृष्ण के फुफेरा भाई ए अउ ओखर […]
छत्तीसगढ़ी में मुहावरा के परयोग
लोक जीवन में बोलचाल में मुहावरा के बड़ महत्व हे। ये भाखा अउ बोली के सिंगार होथे। ये ह गोठ बात के बेरा म ओला परभावशाली अउ वजनदार बनाथे। ये गोठ बात ल पूरा करे के साथे -साथ सही समे अउ इस्थान में परयोग करे ले बोलइया-लिखइया के भाखा में परगट करथे। हमर छत्तीसगढ़ी घलो […]
चिल्हर के रोना
आज के समे अइसन उपाय तो चिल्हर के रोना बर करे नी जा सकय। काबर के चिल्हर के रोना एक, दू अउ पांच रुपिया के जादा रथे अउ एकर नोट छपना बंद हो गे हे। अरे बंद नी होय होही ते कमती जरूर हो गेहे। तेखरे सेती अब चिल्हर के रोना ल खतम नी करे […]
छत्तीसगढ़ के कर्जादार
आज छत्तीसगढ़ी ह राजभाषा बनगे हावय। राजधानी ले अतेक अकन अखबार निकलथे के अंगरी म गिनना मुसकिल हे। फेर एक ठन छत्तीसगढ़ी अखबार आज ले नई निकल पाइस। ये निमगा छत्तीसगढ़ अखबार निकाले म घाटा दिखथे। एक कालम तो होना चाही। दूसर राज्य म ऊंखर राजभासा के अखबार अउ पत्रिका दिखथे। छत्तीसगढ़ी ल राजभासा बनाय […]
कबिता : बेटी मन अगुवागे
जमाना बदलगे झन करौ संगीबेटा-बेटी म भेद,बेटी मन अगुवागे चारों खुंटबेटा के रद्दा ल छेंक। पढ़ई-लिखई म अव्वल आथे,बेटा- मस्ती म समै बिताथेबेटी घरो के काम बुता म,सुग्घर दाई के हाथ बंटाथे। तभो ले तुंहर आंखी नइ उघरिस,बेटा के हावेच टेक। बेटी मन…॥बेटा के आस मा जे परवार बढ़ाहीमहंगाई वोला रोजे रोवाही,बहू के आए ले […]
छत्तीसगढ़ ‘वर्णमाला अउ नांव’ एक बहस
‘ये पाती कई झन साहित्यकार करा पहुंचे हावय। दिनेश चौहान ह एक विचार सब ला सोचे बर देय हावय। स्वर, व्यंजन के सही उपयोग करना हे, पहिली वर्णमाला तय करव ओखर बाद अक्छर के उपयोग करे जाय। अक्छर अइसना होवय जेन ह आज ले सौ साल पहिली ले उपयोग म आवत हावय। ये पाती के […]
कहिनी : पिड़हा
न वा जमाना आय के बाद जुन्ना कतको चीज नंदावत जात हे। एमा सिल लोड़िहा, पिड़हा, जांता, झउंहा अउ कतको जिनिस सामिल हवय। जांता तो आज कल बिलकुले नंदा गे हे। गांव में घलो खोजबे तो मिलना मुसकिल हे। वइसने मिक्सी के आय ले पढ़े-लिखे माइ लोगन मन सिल लोड़िहा ल हिरक के नइ निहारय। […]
जब पवन दीवान दऊड़ म अव्वल अइस
सुरता राजिम तीर के कोमा गांव म साहित्य म रुचि रखइया के कमी नइ हे। इही गांव काबर आसपास के बहुत अकन गांव म घलो साहित्यकार अउ कवि मन के अइसे छाप पड़े हे के लोगन अपन लइका के नाव घलो कवि मन के नाव जइसे धराय-धराय हवे। वइसे तो राजिम क्षेत्र के जम्मो भुंइया […]