लोक की कहानी (भोलापुर के कहानी, प्रथम संस्करण की समीक्षा; विचार वीथी, नवंबर10-जनवरी11) डॉ. गोरे लाल चंदेल आंचलिक भाषा पर कहानी लिखने की हमारी परंपरा बहुत लंबी है। इंशा अल्ला खाँ की ‘रानी केतकी की कहानी’ यों तो हिन्दी खड़ी बोली की कहानी मानी जाती है पर उस कहानी में आंचलिकता बोध स्पष्ट दिखाई देता है। रेणु की ‘परती परिकथा’ बिहार की लोक बोली के रस से सराबोर दिखाई देती है। उनकी कहानियों में भी इस आंचलिक रंग को आसानी से देखा जा सकता है। बहुत से हिन्दी कहानियों में…
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