Dr. Jaybharati Chandrakar

रूख तरी आवव

रूख तरी आवव, झुलवा झुलव,थोरकुन बइठव, सुसता लेवव, रूख तरी आवव...... घाम गम घरी आगे रुख तरी छइया पावव, जिनगी… Read More

5 years ago

झिरिया के पानी

मयं झिरिया के पानी अवं, भुंइया तरी ले पझरत हवव,  मयं झिरिया के पानी अवं, मयं झिरिया के पानी....... अभे… Read More

5 years ago

छत्तीसगढ़ी भासा के महत्तम

छत्तीसगढ़ी भासा अब्बड़ मीठ ,गुरतुर बोली आय, आमा के रूख मा कोइली मीठ ,बोली अस आय. छत्तीसगढ़ी भासा अब्बड़ मीठ.....… Read More

6 years ago

सुवा कहि देबे संदेस

समारू हर ऐ बखत अपन दु एकड़ खेत म चना बोय रिहिस. बने ऊंच -ऊंच हरियर-हरियर चना के झार म… Read More

6 years ago

आज नारी हर महान होगे

बेटी बचाव, बेटी पढ़ाव के नारा हर, सिरतोन होगे, आज नारी हर महान होगे. आज नारी हर महान होगे....... मुधरहा… Read More

6 years ago

छत्तीसगढी़ कहानी संग्रह : शहीद के गाँव

परंपरा की खुशबू है इन कहानियों में छत्तीसगढी-साहित्य में निरंतर अनुसंधान तथा अन्य विधाओं में सक्रिय लेखनरत डॉ.जयभारती चंद्राकर का… Read More

6 years ago

वृक्षारोपण के गोठ

आज बड़ बिहिनिया ले नर्सरी म जम्मो फूल अउ बड़का रूख के नान्हे-नान्हे पौधा मन म खुसी के लहर ड़़उंड़त… Read More

6 years ago