मनखे-मनखे एक समान

सुनो-सुनो ग मितान, हिरदे म धरो धियान। बाबा के कहना “मनखे-मनखे एक समान”।। एके बिधाता के गढ़े, चारों बरन हे, ओखरे च हाथ म, जीवन-मरन हे। काबर करथस गुमान, सब ल अपने जान। बाबा के कहना “मनखे-मनखे एक समान”।। सत के जोत, घासीदास ह जगाय हे, दुनिया ल सत के ओ रद्दा देखाय हे। झन कर तैं हिनमान, ये जोनी हीरा जान। बाबा के कहना “मनखे-मनखे एक समान।। जीव जगत बर सत सऊहें धारन हे, मया मोह अहम, दुख पीरा के कारन हे। झन डोला तैं ईमान, अंतस उपजा गियान।…

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“गंवई-गंगा” के गीत गवइया

गिरे-परे-हपटे ल रददा देखइया, जन-मन के मया-पीरा गवइया। “मोर संग चलव” कहिके भईया आँखीओझल होगए रद्दा रेंगइया।। माटी के मोर बेटा दुलरुवा, छत्तीसगढ़ी के तैंहा हितवा। सोला आना छत्तीसगढ़िया, मया-मयारू के तैं मितवा।। तोर बिना सुसकत हे महतारी, गांव-गली,नदिया- पुरवइया।। छत्तीसगढ़ के अनमोल रतन, माटी महतारी के करे जतन। “सोनाखान के आगी” ढिले, पूरा करे तैंहर सेवा के परन।। “चंदैनी गोंदा”कुम्हालात काबर? “गंवई – गंगा” के गीत गवइया।। छत्तीसगढ़ के सभिमान बर, धरती के गरब – गुमान बर। कलम चला निक जिनगी जीए, मनखेपन अउ सत-ईमान बर।। गीत झरे तोर…

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सरग हे जेकर एड़ी के धोवन

सरग ह जेखर एड़ी के धोवन, जग-जाहरा जेखर सोर। अइसन धरती हवय मोर, अइसन भुईयां हवय मोर॥ कौसिल्या जिहां के बेटी, कौसल छत्तीसगढ़ कहाइस, सऊंहे राम आके इहां, सबरी के जूठा बोइर खाइस। मोरध्वज दानी ह अपन, बेटा के गर म आरा चलाइस, बाल्मिकी के आसरम म, लवकुस मन ह शिक्षा पाइन। चारों मुड़ा बगरे हे जिहां, सुख-सुम्मत के अंजोर। अइसन धरती हवय मोर, अइसन भुंईयां हवय मोर॥ बीर नारायन बांका बेटा, आजादी के अलख जगाए, पंडित सुन्दरलाल शर्मा, समता के दिया जलाए। तियाग-तपस्या देस प्रेम के, कण-कण ह गीत…

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तैं ठउंका ठगे असाढ

तोर मन का हे तहीं जान? तैं ठउंका ठगे असाढ। चिखला के जघा धुर्रा उड़े, तपे जेठउरी कस ठाड़॥ बादर तोर हे बड़ लबरा ओसवाय बदरा च बदरा कब ले ये नेता लहुटगे? जीव जंतु के भाग फूटगे॥ किसान ल धरलिस अब तो, एक कथरी के जाड़॥ तोर मन का हे तहीं जान? तैं ठउंका ठगे असाढ़॥ धरती के तन हवै पियासे कपटी साहूकार ह हांसे। रूख-राई हर अइलागे कइसे हमर करम नठागे॥ बादर गरजे जुच्छा अइसे, गली म भुंकरे सांड़। तोर मन का हे तहीं जान? तैं ठउंका ठगे…

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युग प्रवर्तक हीरालाल काव्योपाध्याय

छत्तीसगढ़ी भासा के पुन-परताप ल उजागर करे बर धनी धरमदास जी, लोचनप्रसाद पाण्डे, सुन्दरलाल शर्मा जइसे अऊ कतकोन कलमकार अऊ साहित्यकार मन के योगदान हे। अइसने रिहिन हमर पुरखा साहित्यकार हीरालाल काव्योपाध्याय। जऊन मन ह सबले ले पहिली छत्तीसगढ़ी भासा के व्याकरन लिख के छत्तीसगढ़ी भासा ल पोठ करिन। छत्तीसगढ़ी भासा के व्याकरन सन् 1885 च म सिरजगे रिहिस। जेखर अंगरेजी रूपांतर सर जार्ज ग्रियर्सन ह करिस। अऊ एखर सिरजइया रिहिन हीरालाल काव्योपाध्याय। ये व्याकरन के किताब में छत्तीसगढ़ी व्याकरण के सिरजन के संगे-संग छत्तीसगढ़ के लोक साहित्य-जइसे जनौला, दोहा,…

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तईहा के गोठ ल बईहा लेगे – कबिता

तईहा के गोठ ल भईया, बईहा लेगे ग। मनखे ल हर के मनखे के छईंहा लेगे ग॥ एक मंजला दू मंजला होगे, दू मंजला ह तीन मंजला। नांगर जोतइया, बांहा बजइया, होवत हे निच्चट कंगला॥ जम्मो सुख-सुभिता बाबू, भईया लेगे गे। तईहा के गोठ ल भईया, बईहा लेगे ग॥ खुरसी खातिर जात बांटय, बांटय धरम-ईमान। बोट खातिर मनखे बांटय, बांटय ग भगवान॥ रावन हर लोकतंत्र के सीता, मईया लेगे। तईहा के गोठ ल भईया, बईहा लेगे ग॥ घुघवा बइठे सिंहासन म, ठोंकत हांवय इहां ताल। गांधी जी के टोपी पहिरे,…

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माटी माथा के चंदन

मोर गांव के करंव बंदन, माटी माथा के चंदन। सपना सुग्घर दूनो नयनन, आड़ी-पूंजी जिनगी धन॥ हरियर-हरियर खेती-खार लीपे-पोते घर-दुवार॥ गंगा कस नरवा के पानी, अन धन ले भरे कोठार॥ सेवा के सोंहारी बेलय, पिरित के धरे पईरथन। करमा, ददरिया, पंडवानी गली खोर म गीता बानी। घर-घर तुलसी रमायेन, राम सीता दूनो परानी॥ सुरूज संझा लाली लिए, बिहनिया बुके बंदन। जगमग सुरहुत्ती देवारी, फागुन के लाली-गुलाली। हरेली तीजा पोरा राखी मया बांटे माली-माली॥ उपजे-बाढ़े जेखर कोरा, तेखरे कोरा म मिले तन॥ डॉ. पीसीलाल यादव साहित्य कुटीर गंडई-पंडरिया राजनांदगांव

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सरग ह जेखर एड़ी के धोवन – डॉ. पीसी लाल यादव

सरग ह जेखर एड़ी के धोवन, जग-जाहरा जेखर सोर। अइसन धरती हवय मोर, अइसन भुईयां हवय मोर॥ कौसिल्या जिहां के बेटी, कौसल छत्तीसगढ़ कहाइस, सऊंहे राम आके इहां, सबरी के जूठा बोइर खाइस। मोरध्वज दानी ह अपन, बेटा के गर म आरा चलाइस, बाल्मिकी के आसरम म, लवकुस मन ह शिक्षा पाइन। चारों मुड़ा बगरे हे जिहां, सुख-सुम्मत के अंजोर। अइसन धरती हवय मोर, अइसन भुंईयां हवय मोर॥ बीर नारायन बांका बेटा, आादी के अलख जगाए, पंडित सुन्दरलाल शर्मा, समता के दिया जलाए। तियाग-तपस्या देस प्रेम के, कण-कण ह गीत…

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