बहुत साल पहिली किसोर कुमार, असोक कुमार अउ अनूप कुमार तीनों भाई के एक ठन फिलिम आय रहिस हे- चलती के नाम गाड़ी। फेर वोखर बाद के लाईन ल कोनो नई बतावय। मैं बतावत हों चलती के नाम गाड़ी बिगड़ गे त खटारा। टेटकू बैसाखू ल कार में घूमत देख के एक दिन महूं सोंचेव कि का मैं उंखरों बरोबर नइ हौं? तब मोर सुभिमान ह अपन आंखी खोलिस अउ सपना ले झकना के डर्राय लइका बरोबर जाग गेंव। मोर सुभिमान हा मोला धिक्कारिस, अरे सेकण्ड किलास आफिसर होय के…
Read MoreTag: Dr.Rajendra Patkar “Shehil”
मिसकाल के महिमा
मोबाइल आए से लइका सियान सबो झन मुंहबाएं खडे रहिन हे। जब देखव, जेती देखव गोठियाते रहिथे। जब ले काल दर ह सस्ता होइस तब ले किसिम-किसिम के चरचा शुरु होगे हे। सारी के भांटो से, प्रेमका के प्रेमी से, आफिसर के करमचारी से, शादीशुदा के ब्रह्मचारी से, घरवाली के घरवाले से, अऊ घरवाले के बाहिरवाले से। गुप्त चरचा, मुखर चरचा, आदेश, संदेश, डांट-फटकार, गाली-गलौज, ब्लेक मेल, प्रेम प्रस्ताव, अउ चुगली सब्बो के एके साधन हे मोबाइल। खखोरी में फाइल दबा के बात करत पहिली साहेब शुभा मन ल देखन।…
Read Moreलव इन राशन दुकान
पिक्चर देखइया मन मोला गारी देवत होहू के लव इन टोकियो, लव इन पेरिस- असन महूं हा लव इन रासन दुकान- शीर्षक में लिख दे हौं, फेर का करबे घटना ओइसनेच हे, के मोला लव इन रासन दुकान लिखे बर परगे। दू साल पहिली के फ्लैशबुक आप मन ला लेगत हौं। रासन के दुकान के लाइन में माटी तेल ले बर अपन लाइन में एक लड़की अउ अपन लाइन में एक लड़का खड़े राहय। दूनो झन आजू-बाजू एके सोझ में होगे राहयं। दूनो झन पहिली एक-दूसर ला देख के मुस्कइन,…
Read Moreमेछा चालीसा
मैं पीएचडी तो कर डारे हंव अब डी-लिट के तैयारी में हौं। मोर विषय रही ‘मेंछा के महिमा अऊ हमर देस के इतिहास’ मोला अपन शोध निर्देशक प्रोफेसर के तलाश हे। कई झन देखेंव पर दमदार मेंछा वाले अभी तक नई मिले हे। मेंछा ह शान के परतीक आय अऊ दाढ़ी ह दृढ़ता के। मेंछा चालीसा ल मैं इतिहास से शुरू करत हौं। भगवान मन में बरम्हा जी, शंकर जी, हनमान जी अऊ विस्वकर्मा जी के फोटू म कभू-कभू मेंछा के दरसन हो जथे। मेंछा के महिमा के बखान मेंछा…
Read Moreचलव चली ससुरार
एच.एम.टी. के भात ल थोकिन छोड़ दीस अउ मुंह पोंछत उठगे। दुलरवा के नखरा देख के मैं दंग रहिगेंव। जेन दुलरवा ह दू रुपिया किला वाले चाउर के भात खाथे वोह एचएमटी के भात ल छोड़ दीस। साल भर में एकाध बार आमा खावत होही तेन ह आमा ल वापिस कर दीस। जिल्लो के दार खवइया ह राहेरदार ल हीन दीस। वाह रे! दुलरवा तैं तो सही म दमाद बाबू दुलरू हो गेस। दुलार सिंग ह मोर लंगोटिया दोस्त ए। दुलार के रू नाम दुलरवा हे। आज दुलरवा शब्द ह…
Read Moreफरहार के लुगरा अउ रतिहा के झगरा
एक बार वर्मा जी के घर गे रेहेंव। वर्मा जी ह अपन सबो लइका मन बर एके रंग के कुरता अउ एके रंग के पेंठ बनवा दे राहय। देवारी के भीड़ में भी वर्मा जी के लइका मन कलर कोड से चिनहारी आवय। अइसे लगय जइसे सबो झन एके इसकूल के पढ़इया लइका आयं। मैं देखेंव तब मोर मन परसन्न हो गे। उही दिन ले मैं सोचे रेहेंव कि इही परयोग ल मैं अपनों घर दुहराहूं। आसो के तीजा में सबो बहिनी मोरे घर अवइया रिहिन। तीजा माने बहिनी, भांचा-भांची…
Read Moreकबिता : कइसे रोकंव बैरी मन ल
पांखी लगाके उड़ा जाथे जी, कइसे रोकंव बैरी मन ला।छरिया जाथे मोर मति जी, घुनहा कर दीस ये तन ला।उत्ती-बूड़ती, रक्सहूं-भंडार, चारो मुड़ा घूम आथे।जब भी जेती मन लागथे, ये हा उड़ा जाथे॥मन ह मन नई रहिगे, हो गे हे पखेरू।डरत रहिथौं मैं एखर से, जइसे सांप डेरू॥इरखा के जहरीला नख हे, छलकपट के दांत हे।लोभ-मोह के संगी बने हे, खून से सने हाथ हे॥हो गे हे अड़बड़ ये हा ढीठहा, रख लेथे अपन परन ला… पांखी लगा के….साधु संत के संग धरेंव, ये तन ला सुधारे बर।भजन कीतरन रोज…
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