हमर गांव के गली मएक झन सांप देखइया ह आइस.सांप देखौ सांपकहिके जोरदार हांका ल लगाइस.सांप वाले के आरो लघर के मन पाइन.सांप देखे के सौंख मसबे झन बाहिर निकल आइन. संवरा ह सांप के मुंह मअपन अंगठा ल लगाइस.फेर बिख उतारे मंतर लमने मन म बुदबुदाइस.मोटरी ल खोल केजड़ी बुटी ल लगाइस.फेर उही जड़ी बुटी केकीमत ल बताइस.सबे सियनहा मनसांप के पांव परे लागीन. पढ़े लिखे मनसांप के जात ल पूछे लागीन.तभे…रेमटा असन भोला हसांप ल देख के किकयाइस.फेर ओकर मुंह लेअटपटहा असन गोठ ह निकल आइस.पूछीस…ह ग… सांप…
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मोर महतारी (मेरी माँ)
मोला दसना म सुता केखोर्रा खटिया म सुतइया मोर महतारीआज तैं हलकड़ी छेना के दसना म सुते हसअपन दूनो आंखी ल मुंदे हसजमो मया मोह ले तैं छोड़ देहेहमन ले तैं मुंह ल मोड़ लेहेए मोर महतारीकइसे भुलाहूँ…नौ महीना कोंख म मोला तैं राखेहमन करा सुख दुख ल तैं भाखे जब आंखी ह खुलीस त तोर कोरा म सुख ल पाएनअंगना म बइठ के आनी बानी के गोठ ल गोठियाएनआज ले सुरता हे…. गोरसी म सेंकनाअंगठी ल धर के रेंगनातेल फुल के लगानाओनहा ल पहिरानाजाड़ के दिन म अपन ह…
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