Dr.Vinay Kumar Pathak

तंय उठथस सुरूज उथे

जिहां जाबे पाबे, बिपत के छांव रे। हिरदे जुड़ा ले आजा मोर गांव रे।। खेत म बसे हाबै करमा के… Read More

6 years ago

हिरदे जुडा ले आजा मोर गांव रे : डॉ. विनय कुमार पाठक के गीत

जिहाँ जाबे पाबे, बिपत के छांव रे। हिरदे जुडा ले आजा मोर गांव रे॥ खेत म बसे हावै करा के… Read More

7 years ago

छत्तीसगढ़ी भाखा हे : डॉ.विनय कुमार पाठक

एक हजार बछर पहिली उपजे रहिस हमर भाखा छत्तीसगढ़ के भाखा छत्तीसगढ़ी आय जउन एक हजार बछर पहिली ले उपजे-बाढ़े… Read More

7 years ago

भूमिका : कथात्मकता से अनुप्राणित कहानियाँ

आज या वर्तमान आधुनिकता के अर्थ में अंगीकृत है। आज जो है वह ‘अतीत-कल’ का अगला चरण है और जो… Read More

11 years ago