पहुना: ग.सी. पल्‍लीवार

पहुना आगे, पहुना आगे अब्बड़ लरा जरा हो देखत होहू उनखर मन के टुकना मोटरी मोटरा हो….. कनवा कका, खोरवी काकी चिपरा आँखी के उनखन नाती रामू के ददा, लीला के दाई बहिनी के भांटो मेछर्रा हो- ननद मन ला हांसेला कहिदे चटर चटर बोले ला कहिदे तिलरी खिनवा करधन सूता भइगे उत्ताधुर्रा हो- रांधे के बेरा म मूड पिराये आगी के आधघू म देंह जुड़ावे देखत सुनत महूं बुढ़ागेंव इनखन मन के नखरा हो- भइया खाही जिमी कांदा भौजी खोजे खेकसी खेकसा कोनो पूछहिं ठेठरी खुरमी बाचैं नहीं बरा…

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