राजधानी म पइठ के , परभावली म बइठ के । हमर बर मया बरसाथे , हमींच ला अइंठ के ।… Read More
गुरूजी पूछथे – कते तिहार सबले बड़का आय ? समझ के हिसाब से कन्हो देवारी, दसरहा अऊ होली, ईद, क्रिसमस,… Read More
गरीब के देवारी का पूछथस ? संगवारी। जेकर कोठी म धान हे ओखर मन आन हे। पेट पोसा मजदूर बर… Read More
छत्तीसगढ़ ला गजब मयारू, सेवक चाही अटल जुझारू, अड़बड़ दिन भोरहा म पोहागे, निरनय लेके बेरा आगे। पिछलग्गू झन बनव,… Read More
घात जियानथे जऊन ला, गरीब अऊ अनाथ के पीरा, जऊन नेता के अंतस निये, जइसे तिनफंकिया खीरा। जेला गजब सुहाथे,… Read More
पइधे गाय कछारे जाय भेजेन करके, गजब भरोसा। पतरी परही, तीन परोसा। खरतरिहा जब कुरसी पाइन, जनता ल ठेंगवा चंटवाइन।… Read More
कइसे उदुप ले डोकरा होगे जंगल के बघवा तेंहा, कइसे चऊंर–चाबे बोकरा होगे। एक कोरी म छै बछर कम, कइसे… Read More
सर सरात हवा संग जुन्ना पाना झरथे । फोंकियाये रूख के फुनगी बाती कस बरथे । रात लजकुरहीन संग दिन… Read More
जय भारत , जय धरती माता सबले उप्पर म लिखे हवय । सब झन बर , गजब मया करे हे… Read More
रजधानी म पइठ के परभावली म बइठ के हमर बर मया दरसाऐ हमीच ला अइठ के । रिद्धी सिद्धि पा… Read More