एक बीता पेट बर

परउ परिनिया दूनों परानी । धरे बासी चटनी पानी । कोड़े फेंके ढेला ढेलवानी । पेरथें जांगर तेल कस घानी – एक बीता पेट बर । तिरवर मंझनिया , तपत घाम । भूंजत भोंभरा लेसत झांझ । पेलत झेलत कूदत डंगोवत । लहकत डहकत तलफत झकोरत – एक बीता पेट बर । टूटगे कनिहां , हाय राम । सुख हे सपना दुख के काम । बुधरू बुधनी बेटा -‌ बेटी । उघरा नंगरा मांगे रोटी – एक बीता पेट बर । -गजानंद प्रसाद देवांगन छुरा

Read More