नदिया के धार बहिस छुनुन—छुनुन छन कहिस. चउमासी कचरा मन धारोधार बोहागे, मटियाहा पानी मन सुग्घर अब छनागे. पी लौ ससन भर सब, गुरतुर कछार कहिस. .. नदिया के धार बहिस अब नइ बोहाव ग डुबकव हरहिन्छा, फरी—फरी पानी हे तउंरव छुरछिंदा. देखव दरपन कस अउ, मुॅंह ल निहार कहिस. .. नदिया के धार बहिस उजरा लौ तन ल अउ फरिहा लौ मन ल, सुस्ता लौ सुरता म खोजव लरकन ल. जॉंगर ह थक गे हे, गोड़ ल दव डार कहिस. .. नदिया के धार बहिस पयरी ला मांजथे, चूंदी…
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