नवरात के बाद के इतवार के बडे बिहनिया बैसाखू ह ऊपर बमलाई पहुंचिस त बमलेसरी दाई वोला देखतेच बोलिस- ये दारी बड दिन म आए तेहा बैसाखू ! कहुं गांव- आंव चल दे रहे का? बैसाखू अचरज म पड गइस- कइसे कहिथस दाई? येदे नवरात म तो मेहा आय रहेंव। अइ…। बमलेसरी दाई, बैसाखू ले जादा चकित होगे- तैं आय रेहे ! फेर, मेहा तोला कइसे नई देखेअंव? बने सुरता कर। ये बखत नवरात म तैं नइ आय पाय। बैसाखू हंस पडिसि- आय रहेंव दाई ! मेहा पक्का आय रहेंव।…
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