सुरता आथे तोर वो गोरी, रही रही के मोला रोवाथे। का मया के जादू डारे, नैना ला तँय हा मिलाके।। रतिहा मा नींद आय नहीं, तोरेच सुरता हा आथे। अन पानी सुहाय नहीं, देह मा पीरा समाथे।। संगी संगवारी भाय नहीं, बइहा कस जिवरा जनाथे। चँदा कस तोर रूप गोरी, सुरुज पियासे मर जाथे।। खनर-खनर तोर चूरी खनके, छम-छम बाजे तोर पइरी। कब आबे मोर अँगना मा, तँय बता देना ओ गोरी।। गोकुल राम साहू धुरसा-राजिम (घटारानी) जिला-गरियाबंद(छत्तीसगढ़) मों.9009047156
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चतुर्भुज सिरक्कटी धाम
गुरू पूर्णिमा के परब मा, सुग्घर भराथे मेला। चलो संगी चलो मितान, जाबो सब माइ पिला।। महा ग्यानी ब्रम्हचारी गुरू, भुनेश्वरी शरण के अस्थान हे। पइरी नदी के घाट मा सुग्घर, सिरक्कटी धाम महान हे।। छप्पन भोग सुग्घर पकवान, सब भगत मन हाँ पाबोन। आनी बानी के साग भाजी के, खुला गजब के खाबोन।। रिषि मुनि सब साधु मन के, सिरक्कटी मा हावे डेरा। गईया बछरू के करथे जतन, देथे सब झन पानी पेरा।। जउन जाथे सिरक्कटी धाम, सब झन के पिरा भगाथे। निर्धन, बाँझन सबो झन, मन भर के…
Read Moreतीजा तिहार
रद्दा जोहत हे बहिनी मन, हमरो लेवइया आवत होही। मोटरा मा धरके ठेठरी खुरमी, तीजा के रोटी लावत होही।। भाई आही तीजा लेगे बर, पारा भर मा रोटी बाँटबोन। सब ला बताबो आरा पारा, हम तो अब तीजा जाबोन।। घुम-घुम के पारा परोस में, करू भात ला खाबोन। उपास रहिबो पति उमर बर, सुग्घर आसिस पाबोन।। फरहार करबो ठेठरी खुरमी, कतरा पकवान बनाके।। मया के गोठियाबोन गोठ, जम्मों बहिनी जुरियाके। रंग बिरंगी तीजा के लुगरा, भाई मन कर लेवाबोन। अइसन सुग्घर ढ़ंग ले संगी, तीजा तिहार ला मनाबोन।। गोकुल राम…
Read Moreहरेली तिहार आवत हे
हरियर-हरियर खेत खार, सुग्घर अब लहरावत हे। किसान के मन मा खुशी छागे, अब हरेली तिहार आवत हे।। खेत खार हा झुमत गावत, सुग्घर पुरवाही चलावत हे। छलकत हावे तरीया डबरी, नदिया नरवा कलकलावत हे।। रंग बिरंग के फूल फुलवारी, अब सुग्घर डुहूँरु सजावत हे। कोइली पँड़की सुवा परेवना, प्रेम संदेशा सुनावत हे।। नर-नारी अउ जम्मो किसान, किसानी के औजार ला धोवत हे। किसानी के काम पुरा होगे, अब चिला चघाय बर जोहत हे।। लइका मन भारी उत्साह, बाँस के गेड़ी बनवावत हे। चउँर के चिला सुग्घर खाबो, अब हरेली…
Read Moreअकती बिहाव
मड़वा गड़ाबो अँगना मा, सुग्घर छाबो हरियर डारा। नेवता देबो बिहाव के, गाँव सहर आरा पारा।। सुग्घर लगन हावे अकती के, चलो चुलमाटी जाबो। शीतला दाई के अँगना ले, सुग्घर चुलमाटी लाबो।। सात तेल चघाके सुग्घर, मायन माँदी खवाबो। सुग्घर सजाबो दूल्हा राजा, बाजा सँग बराती जाबो।। कोनो नाचही बनके अप्सरा, कोनो घोड़ा नचाही। सुग्घर बजाके मोहरी बाजा, सुग्घर बराती परघाही।। पंडित करही मंत्र उच्चारण, मंगल बिहाव रचाही। सात बचन ला निभाहू कहिके, सातो वचन सुनाही।। धरम टिकावन होही सुग्घर, पियँर चउँर रंगाय। दाई टिकत हे अचहर-पचहर, ददा टिके धेनू…
Read Moreनंदावत हे अकती तिहार
अकती तिहार हमर छत्तीसगढ़ अँचल के बहुँत बढ़िया प्रसिद्ध परंपरा आय। ये तिहार ला छत्तीसगढ़ के गाँव-गाँव मे बड़ा हर्सोल्लास के संग मनाय जाथे। बैशाख महीना के अँजोरी पाख के तीसरा दिन मा मनाय जाथे।आज के जुग मा नवा-नवा मनखे अउ नवा-नवा जमाना के आय ले अउ हमर जुन्ना सियान मन के नंदाय ले हमर अतेक सुग्घर तिहार हा घलो नंदावत हे। पहेली के सियान मन अकती तिहार के पहेली ले जोरा करत राहय।अकती तिहार आही ता गाँव के डिही डोंगर ठाकुर दिया में अउ शीतला दाई में दोना में…
Read Moreधुरसा-मुरमुरा के झरझरा दाई
जिला मुख्यालय गरियाबंद से लगभग 60-65 किलोमीटर के दुरिहा में बसे नानकुन गाँव धुरसा-मुरमुरा,ये गाँव जंगल के तीर मा बसे हे।अउ इही गाँव के डोंगरी में दाई झरझरा अपन सुग्घर रूप ला साज के डोंगरी भीतर डेरा लगाके बइठे हे।जेनला लोगन मन दाई झरझरा रानी के नाव से मानथे।अउ डोंगरी के तीर मा बसे जम्मों गाँव के मनखे मन जुरीया के दाई के पुजा पाठ करथे।अउ लोगन मन के मानना हे की ये दाई झरझरा रानी हा दाई जतमाई के परथम रूप आय।ये क्षेत्र के लोगन मन मानथे की दाई…
Read Moreआगे परब नवरात के
आगे परब नवरात के, मंदिर देवाला सजाबो। सुग्घर लीप पोत के, कलशा मा दियना जलाबो।। ढ़ोल नंगाड़ा बजा के सुग्घर, माता रानी ला परघाबो। मंगल आरती गा के सुग्घर, माता ला आसन बइठाबो।। संझा बिहनिया करके आरती, दाई ला भोग लगाबो। दाई के चरण मा माँथ नवाके, आसीस सुग्घर पाबो।। आठ दिन अउ नवरात ले, दाई के सेवा बजाबो। किसम-किसम के माता सिंगारी, पंचमी के दिन चघाबो।। आठवाँ दिन मा हवन पूजन, मन ला शांत कराबो। नववाँ दिन नवकन्या भोजन, दसवाँ दिन मा आँसू बोहाबो।। गोकुल राम साहू धुरसा-राजिम(घटारानी) जिला-गरियाबंद(छत्तीसगढ़)…
Read Moreछत्तीसगढ़ के माटी
मोर छत्तीसगढ़ के माटी जी, मोर छत्तीसगढ़ के माटी। हीरा मोती सोना चाँदी…2 छत्तीसगढ़ के माटी… मोर छत्तीसगढ़ के माटी जी, मोर छत्तीसगढ़ के माटी। इही भुइयाँ मा महाप्रभु जी, लिये हावे अँवतारे हे…2 इही भुइयाँ मा लोमश रिसी, आसन अपन लगाये हे…2 बड़े-बड़े हे गियानी धियानी…2 छत्तीसगढ़ के माटी… मोर छत्तीसगढ़ के माटी जी, मोर छत्तीसगढ़ के माटी। इही भुइयाँ मा राजीव लोचन, सउँहत इहाँ बिराजे हे…2 बीच नदिया मा कुलेश्वर बइठे, आसिस अपन बगराये हे…2 जघा जघा बिराजे देंवता धामी…2 छत्तीसगढ़ के माटी… मोर छत्तीसगढ़ के माटी जी,…
Read Moreनारी सक्ति
सम्मान करव जी नारी मन के, नारी सक्ति महान हे। दुरगा,काली,चण्डी नारी, नारी देवी समान हे।। किसम-किसम के नता जुँड़े हे, नारी मन के नाव में। देंवता धामी सब माँथ नवाँथे, नारी मन के पाँव में।। रतिहा बेरा लोरी सुनाथे, डोकरी दाई कहाथे। नव महिना ले कोख मा रखके, महातारी के फरज निभाथे।। सात फेरा के भाँवर किंजर के, सुहागिन नाव धराथे। दाई ददा के सेवा करके, बेटी ओहा कहाथे।। भाई मन के कलाई मा सुग्घर, राखी के धागा सजाथे। मया दुलार करथे अउ, बहिनी ओहा कहाथे।। सम्मान करव जी…
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