Gokul Ram Sahu

कविता- बसंत बहार

बसंत बहार छागे सुग्घर, कोइली गीत गावत हे। अमरइया के डारा सुग्घर, लहर-लहर लहरावत हे।। चिरइ चिरगुन चींव-चींव करके, सुग्घर… Read More

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सरसती वंदना

वीणा बजईया सरसती मंईयाँ..2 मोला तार लेना ओ... तोरे चरण मं आऐ हंव दाई मोला गियान देना ओ...2 कोंदा लेड़गा… Read More

5 years ago

ये जमाना बिगड़ गे

ये जमाना बिगड़गे रे भाई ये जमाना बिगड़गे रे :-गुल्ली डण्डा के खेलईया सिरागे...2 ओ जमाना निकलगे रे... ये जमाना… Read More

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सुग्घर हे मोर छत्तीसगढ़

बड़ सुग्घर हे मोर छत्तीसगढ़, चारों मुड़ा हरियाली हे। जेती देखबे तेती संगी, खुशहाली ही खुशहाली हे।। बड़ भागी हन… Read More

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फैसन के जमाना

फैसन के जमाना आगे, आनी बानी फैसन लगावत हे। छोकरी-छोकरा ला का कहिबे, डोकरी डोकरा झपावत हे।। उमर होगे हे… Read More

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घटारानी हावे तोर नांव

धसकुड़ मं बिराजे ओ,घटारानी हावे तोर नांव...२ चिरई-चिरगुण चिंव-चाँव करत हे...२ मईयां मईयां रटे नांव...२ धसकुड़ मं बिराजे ओ,घटारानी हावे… Read More

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राजिम नगरी

पबरीत हावे राजिम नगरी, परयाग राज कहलाऐ। बिच नदीया में कुलेश्वर बईठे, तोरेच महीमा गाऐ।। महानदी अऊ पईरी सोंढ़हू, कल-कल… Read More

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भारत माँ के दुलौरिन बेटी

मोर भारत माँ के दुलौरिन बेटी, छत्तीसगढ़हीन दाई। तोर कोरा मं मांथ नवांके, लागौं तोरे पांई।। :-तोर कोरा मं जनम-जनम… Read More

5 years ago