कविता- बसंत बहार

बसंत बहार छागे सुग्घर, कोइली गीत गावत हे। अमरइया के डारा सुग्घर, लहर-लहर लहरावत हे।। चिरइ चिरगुन चींव-चींव करके, सुग्घर चहकी लगावत हे। कउँवा करत हे काँव-काँव, तितुर राग बगरावत हे।। सरसों के सोनहा फुल फुलगे, अरसी हा लहलहावत हे। सुरूज मुखी हा चारो कोती, सुग्घर अँजोर बगरावत हे।। फुल बगियाँ मा फुल फुलगे, सतरंगी रंग बगरावत हे, मलनियाँ रानी मगन होके, मने मन मुसकावत हे।। आमा अमरइया मउँरगे सुग्घर, डारा पाना हरियावत हे। रूख राइ हा नाचत सुग्घर, पुरवइया अँचरा डोलावत हे।। वीना धरे हे सारदा माई, सातो सुर…

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सरसती वंदना

वीणा बजईया सरसती मंईयाँ..2 मोला तार लेना ओ… तोरे चरण मं आऐ हंव दाई मोला गियान देना ओ…2 कोंदा लेड़गा तोर चरण मं आके, सुर मं सुर मिलाये ओ गईया बछरू तोर मयां ला पाके, मंईयाँ-मंईयाँ रम्भाऐ ओ :-गीयान देवईया सरसती मंईयाँ..2 मोला उबार लेना ओ… तोरे चरण मं आऐ हंव दाई गियान देना ओ…2 चिरई-चिरगुण सातो सुर ला पाके, मंईयाँ-मंईयाँ गोहराऐ ओ सुआ पंड़की कोईली परेवना, महिमा ला तोर बखाने ओ :-बुद्धि देवईया वीणा बजईया..2 मोला तार लेना ओ… तोरे चरण मं आऐ हंव दाई, मोला गियान देना ओ…2…

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ये जमाना बिगड़ गे

ये जमाना बिगड़गे रे भाई ये जमाना बिगड़गे रे :-गुल्ली डण्डा के खेलईया सिरागे…2 ओ जमाना निकलगे रे… ये जमाना बिगड़गे रे भाई ये जमाना बिगड़गे रे गाड़ी फंदईया अऊ दऊंरी खेदईया, कहाँ नंदागे ओ सियान मोटर गाड़ी के जमाना हा आगे, कोन करे अब खियाल :-बईला नांगर के फंदईया नंदागे…2 ओ जमाना निकलगे रे… ये जमाना बिगड़गे रे भाई ये जमाना बिगड़गे रे अंगाकर रंधईया अऊ चिला सेंंकईया, ओ मनखे लुकागे जी ठेठरी खुरमी अऊ सुहांरी खवईया, ओ जमाना गवांगे जी :-छत्तीगढ़ीया बियंजन नंदागे…2 ओ जमाना निकलगे जी… ये…

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सुग्घर हे मोर छत्तीसगढ़

बड़ सुग्घर हे मोर छत्तीसगढ़, चारों मुड़ा हरियाली हे। जेती देखबे तेती संगी, खुशहाली ही खुशहाली हे।। बड़ भागी हन हमन भईया, छत्तीसगढ़ मं जनम धरेन। ईहें खेलेन कुदेन संगी, ईहें खाऐ कमाऐन।। बड़ सुग्घर हे मोर छत्तीसगढ़, चारो मुंड़ा हरियाली हे। जेती देखबे तेती संगी, खुशहाली ही खुशहाली हे।। छत्तीसगढ़ के मांटी मं भईया, अजब गजब ओनहारी हे। बर पिपर के सुग्घर छंईहां, जुड़ चले पुरवाई हे।। बड़ सुग्घर हे मोर छत्तीसगढ़, चारो मुंड़ा हरियाली हे। जेती देखबे तेती सुग्घर, खुशहाली ही खुशहाली हे।। होवत बिहनिया इहाँ भईया, अंगना…

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फैसन के जमाना

फैसन के जमाना आगे, आनी बानी फैसन लगावत हे। छोकरी-छोकरा ला का कहिबे, डोकरी डोकरा झपावत हे।। उमर होगे हे अस्सी साल, अऊ मुंड़ी मं डाई लगावत हे। अजब-गजब हे डोकरी मन के चाल, मुंहूं मं लिबिस्टीक लगावत हे।। छोकरी-छोकरा ला का कहिबे, डोकरी-डोकरा झपावत हे। फैसन के जमाना आगे, आनी-बानी फैसन लगावत हे।। आज काल के नव युवक मन, सिकरेट पैनामा जमावत हे। कईसने डिजाइन के ओ पैंट पहिरे हे, माड़ी के आवत हे बोचकावत हे।। कोन जनी ओ चड्डी नइ पहीरे रतीस ता का होतीस, थोरको सरम नइ…

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घटारानी हावे तोर नांव

धसकुड़ मं बिराजे ओ,घटारानी हावे तोर नांव…२ चिरई-चिरगुण चिंव-चाँव करत हे…२ मईयां मईयां रटे नांव…२ धसकुड़ मं बिराजे ओ,घटारानी हावे तोर नांव…२ झरझर-झरझर झरना चलत हे,तोर, तोर अँगना अऊ दुवारी ओ…२ सुर-सुर-सुर-सुर पवन चलत हे, जुड़ चले पुरवाई ओ…२ बघुवा भालू तोर रखवारी करत हे…२ करत हावे हांव-हांव…२ धसकुड़ मं बिराजे ओ,घटारानी हावे तोर नांव…२ हरियर-हरियर रूख राई दिखत हे, चारो मुंड़ा चारो कोती ओ…२ रीग-बीग-रीग-बीग जोत जलत हे, अँगना बरे तोर जोति ओ…२ महर-महल तोर अँगना करत हे…२ बगिया हावे तोर गांव…२ धसकुड़ मं बिराजे ओ,घटारानी हावे तोर नांव…२…

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राजिम नगरी

पबरीत हावे राजिम नगरी, परयाग राज कहलाऐ। बिच नदीया में कुलेश्वर बईठे, तोरेच महीमा गाऐ।। महानदी अऊ पईरी सोंढ़हू, कल-कल धारा बोहाऐ। तीनों नदीया के मिलन होगे, तीरबेनी संगम कहाऐ।। ब्रम्हा बिष्णु अऊ शिव संकर, सरग ऊपर ले झांके। बेलाही घाट में लोमश रिषी, सुग्घर धुनी रमाऐ।। राजिव लोचन तोर कोरा मं बईठे, सुग्घर रूप सजाऐ। राजिम के दुलौरिन करमा दाई, तोर कोरा मं मांथ नवांऐ।। राम लखन अऊ सिया जानकी, तोर दरश करे बर आऐ। वीर सपूत बजरंग बली, तोरे चवंर डोलाऐ।। तोर चरण मं कलम धरके, गोकुल महीमि…

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भारत माँ के दुलौरिन बेटी

मोर भारत माँ के दुलौरिन बेटी, छत्तीसगढ़हीन दाई। तोर कोरा मं मांथ नवांके, लागौं तोरे पांई।। :-तोर कोरा मं जनम-जनम ले…2,लेवंव मै आंवतारी मोर भारत माँ के दुलौरिन बेटी, छत्तीसगढ़हीन दाई। तोरे कोरा मं मांथ नवांके, लागौं तोरे पांई।। तोरे कोरा मं देवी देंवता, डोंगरगढ़ बमलाई हे। राजिम मं कुलेश्वर बिराजे, भक्तिन करमा दाई हे।। :-महानदी तोर चरण पखारे…2,निरमल धारा बोहाई मोर भारत माँ के दुलौरिन बेटी,छत्तीसगढ़हीन दाई। तोरे कोरा मं मांथ नवांके, लागौं तोरे पांई।। सिहावा मं सिंगी रिषी अऊ,महानदी आंवतारी हे। रईपुर मं बंजारी बिराजे, महासमुंद खल्लारी हे।।…

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