डॉक्टर अउ कवि

मैं हरखराम पेंदरिया ‘देहाती’ गेयेंव डॉक्टर के पास डाक्टर मोला देख के अड़बड़ परसन्न होगे सोचिस शगुन बढ़िया दिखते हे आज रिटायर्ड हेड मास्टर आय अड़बड़ रुपया-पईसा हे येकर पास। मोला देख के डॉक्टर ह पूछिस- का तकलीफ हे तोला खास अतका सुनेंव तहां ले में ह काली मे ह एक ठक नवा कविता लिखे रेहेंव वोकर करन लगेव सत्यानाश। येला देख के घबरा गे डॉक्टर साब बोलिस- ये का करत हच मोर बाप मे तोला कविता सुनाए बर नई कहें हव तोला का बीमारी हे येला बता साफ-साफ। में…

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कबिता: न ते हारे न में जीतेंव

सनीमा वाला बरसात मा ‘आग ही आग’ लगाथे जड़कला मा ‘हिमालय के गोद मा बिठाथे गर्मी मा’ ‘बिन बादल बरसात’ ल कराथे टोकबे त कहिथे ऐमा तोर ददा के का जाथे! स्टेशन मास्टर स्टेशन मा लिखाये रहिथे फलाना गाड़ी कब आही अऊ कब जाही ये रहिथे पहिली से सेट कभू गाड़ी ह हो जाथे लेट त पूछबे त कहिथे टाइम टेबल नहीं रही त तेंह कइसे जानबे गाड़ी ह राईट हे या लेट हरखराम पेंदरिया ‘देहाती’ श्रीराम मंदिर रोड महासमुन्द

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कबिता : चोरी ऊपर ले सीना जोरी

मध्यान्ह भोजन के टेम रीहिसखाना पकईया ह मोलासरकारी परसाद ल दे के कहिसथोर कीन चीख तो गुरूजीचीखत-चीखत मे हअतका खा गेंवकि ऊही करा कुरसी मासुत गेंव।अचानक बीईओ साहब हस्कूल आईसमोला पढाये के बदला मा सूते पाईसओकर गुस्सा ह पांवतरी ल छोड़ माथा मा चढ़गीसमोला झंझकोर के जगाईस अऊ कहीसकक्छा मा तोलाथोरको सरम नई आईसमें ह थोरकिन उसनींदा रहेंवतभो ले साहब ल कहेंवसाहब तें ह मोला गलत झन समझमें ह लइका मन लासमझावत रेहें हवकुंभकरणी नींद कईसे होथेकुंभकरणी नींद मा आदमीमोरे कस सोथे! हरखराम पेंदरिया ‘देहाती’ श्रीराम मंदिर रोड, महासमुन्द

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मोबाईल हास्य कबिता

एक दिनमे ह लेड़गा भईया ल कहेंवसुन गा भईयामोर घर जामे ह मोबाइल लभूला गें हंवओला घर ले धर के लाऐला सुन केवो ह दौड़त-दौड़तमोर घर गीसघर के मोहाटी मामोर बाई ल बइठे पाईसमोबाईल के बदला मामोर बाई ल धर के आईस। हरखराम पेंदरियाश्रीराम मंदिर रोड महासमुन्द (छग) आरंभ मा पढव : – शताब्दि की चयनित कहानियों में डॉ.वर्मा की भी कहानी पं. द्वारिका प्रसाद तिवारी ‘विप्र’

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