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व्यंग्य

माफी के किम्मत

भकाड़ू अऊ बुधारू के बीच म, घेरी बेरी पेपर म छपत माफी मांगे के दुरघटना के उप्पर चरचा चलत रहय। बुधारू बतावत रहय – ये रिवाज हमर देस म तइहा तइहा के आय बइहा, चाहे कन्हो ला कतको गारी बखाना कर, चाहे मार, चाहे सरेआम ओकर इज्जत उतार, लूट खसोट कहीं कर …….. मन भरिस […]

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व्यंग्य

व्यंग्य : पहिचान

पिरथी के बढ़ती जनसंखिया ला देख के, भगवान बड़ चिनतित रहय। ओहा पिरथी के मनखे मनला, दूसर गरह म बसाये के सोंचिस। पिरथी के मन दूसर गरह म, रहि पाही के नहि तेकर परयोग करे बर, हरेक देस के मनखे कस, डुपलीकेट मनखे के सनरचना करीस। इंकर मन के रेहे बर घर, बऊरे बर समान, […]

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कहानी

लघुकथा : अमर

आसरम म गुरूजी, अपन चेला मनला बतावत रहय के, सागर मनथन होइस त बहुत अकन पदारथ निकलीस । बिख ला सिवजी अपन टोंटा म, राख लीस अऊ अमरित निकलीस तेला, देवता मन म बांट दीस, उही ला पीके, देवता मन अमर हे । एक झिन निचट भोकवा चेला रिहीस वो पूछीस – एको कनिक अमरित, […]

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व्यंग्य

व्‍यंग्‍य : जनता गाय

सरग म, पिरथी के गाय मन ला, दोरदिर ले निंगत देखिस त, बरम्हाजी नराज होगे। चित्रगुप्त ला, कारन पूछिस। चित्रगुप्त किथे – मरे के पाछू, गाय कस परानी मन अऊ कतिहां जाही भगवान, तिहीं बता भलुक ? बरम्हाजी पूछिस – अतेक अकन, एके संघरा मरिस तेमा ? चित्रगुप्त किथे – भाग म, जतका दिन जिये […]

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व्यंग्य

मोर गांव म कब आबे लोकतंत्र

अंगना दुवार लीप बोहार के, डेरौठी म दिया बार के – अगोरय वोहा हरेक बछर।  नाती पूछय – कोन ल अगोरथस दाई तेंहा। डोकरी दई बतइस – ते नि जानस रे, अजादी आये के बखत हमर बड़े –बड़े नेता मन केहे रिहीन, जब हमर देस अजाद हो जही, त हमर देस म लोकतंत्र आही। उही […]

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व्यंग्य

परजातंत्र

परजातंत्र उपर, लइकामन म बहेस चलत रहय। बुधारू किथे – जनता के, जनता मन बर, जनता दुआरा सासन ल, परजातंत्र कहिथें अऊ एमा कोई सक निये। भकाड़ू पूछीस – कते देस म अइसन सासन हे ? मंगलू किथे – हमर देस म ……, इहां के सासन बेवस्था, पिरथी म मिसाल आय। भकाड़ू किथे – तोर […]

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व्यंग्य

कागज के महल

अमबेडकर के मुरती के आघू म, डेंहक डेंहक के रोवत रहय। तिर म गेंव, ओकर खांद म हाथ मढ़हा के, कारन पुछत चुप कराहूं सोंचेंव फेर, हिम्मत नी होइस, को जनी रोवइया, महिला आय के पुरूस ……? एकदमेच तोप ढांक के बइठे रहय, का चिनतेंव जी ……। चुप कराये खातिर, जइसे गोठियाये बर धरेंव, ओहा महेला कस अवाज […]

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व्यंग्य

चुनाव आयोग म भगवान : व्‍यंग्‍य

नावा बछर के पहिली बिहाने, भगवान के दरसन करके, बूता सुरू करे के इकछा म, चार झिन मनखे मन, अपन अपन भगवान के दरसन करे के सोंचिन। चारों मनखे अलग अलग जात धरम के रिहीन। भलुक चारों झिन म बिलकुलेच नी पटय फेर, जम्मो झिन म इही समानता रहय के, चाहे कन्हो अच्छा बूता होय […]

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व्यंग्य

मन के बात

इतवार के दिन बिहाने बेरा गांव पहुंचे रहय साहेब हा। गांव भर म हाँका परगे रहय के लीम चौरा म सकलाना हे अऊ रेडिया ले परसारित मन के बात सुनना हे। चौरा म मनखे अगोरत मन के बात आके सिरागे, कनहो नी अइन। सांझकुन गांव के चौपाल म फेर पहुंचगे साहेब अऊ पूछे लागीस। मुखिया […]

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व्यंग्य

खतरनाक गेम

सरकार हा, ब्लू व्हेल कस, खतरनाक गेम ले होवत मऊत के सेती, बड़ फिकर म बुड़े रहय। अइसन मऊत बर जुम्मेवार गेम उप्पर, परतिबंध लगाये के घोसना कर दीस। हमर गांव के एक झिन, भकाड़ू नाव के लइका हा, जइसे सुनीस त, उहू सरकार तीर अपन घरवाले मन के, एक ठिन ओकरो ले जादा खतरनाक […]