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व्यंग्य

व्‍यंग्‍य : कलम

दू झिन संगवारी रिहीन । अब्बड़ पढ़हे लिखे रिहीन । अलग अलग सहर म रहय फेर एके परकार के बूता करय । दूनों संगवारी एक ले बड़के एक कहिनी कंथली बियंग कबिता लिखय , कतको परकार के अखबार अऊ पतरिका म छपय । हरेक मंच म जावय । फेर दूनों के रहन सहन म धीरे […]

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गोठ बात

दोसती

एक गांव म आगी लगे रिहीस । चारों कोती अफरा तफरी मच गे रिहीस । जे दऊड़ सकय , तेमन दऊड़ के अपन परान बचा लीन । असक्त अऊ कमजोर मन आगी म लेसाए बर मजबूर रिहीन । फेर एक झिन अइसे मनखे घला रहय , जे कहींच अंग ले खंगे अऊ खिरे नि रहय […]

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व्यंग्य

बियंग: परगति

बात तइहा तइहा के आये। मनखे अऊ कुकुर के बीच ताकतवार होये के परतियोगिता सुरू होइस। एक घांव कुकुर हा मनखे ल चाब दीस। मनखे मर गे। मनखे के मन म, डर हमागे। कुकुर, ताकत के पहिली लड़ई जीत डरिस। कुछेच बछर पाछू, कुकुर फेर भिरगे मनखे संग। मनखे मर गे, कुकुर घला मरगे। मनखे […]

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व्यंग्य

18 मई बट सावितरी पूजा विसेस : सत्यवान के खोज (बियंग)

नगर म हलाकान परेसान माईलोगिन के दुख नारद ले नी देखे गिस । जिनगी म सुख भोगे के रद्दा बतावत किहीस के, जेठ मास अमावस तिथि के बड़ रूख के पूजा करे बर लागही । त भगवान सिव जी परसन्न हो जही, अउ तोर जिनगी म सत्यवान वापिस लहुट जही, अउ जेन सुख के आस […]

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व्यंग्य

बियंग ( संदर्भ – घेरी बेरी होवत किसान मन के मौत ) : बिसेला कोन

देस ल अजादी मिले कुछेच बछर पाछू के बात आय । एक गांव म , एक किसान , उदुप ले , बिन कोन्हो बीमारी के , दुनिया ले चल दिस । काबर मरिस ? कोन्हो ल खोज खबर करे के जरूरत अऊ फुरसत दूनों , नि रिहीस । दू चार झिन कारन खोजे के परयास […]