हमर छत्तीसगढ़ माटी के एकठन प्रमुख परब (तिहार) मड़ई मेला हर आय। मड़ई के नाव लेत्तेच म मन मा उत्साह अउ उमंग भर जथे। ए तिहार ला हमर राउत भैया मन बड़ धूम धाम से मनाथे। मड़ई मेला देवारी ले लेके महाशिवरात्रि परब तक चलथे। मड़ई मेला के आयोजन राउत भैया अऊ पूरा गाँव भरके मिलके करवाथे। मड़ई के आयोजन राउत मन के बदना तको रथे। बदना के सेती एकर आयोजन के खरचा ला बदना बदइया हा अकेल्ला उठाथे। मड़ई के आयोजन राउत मन के कुल देवता बर श्रद्धा अउ…
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नंदावत जांता : वीडियो
जांंता पुरखा के हमर, कनकी पिसे पिसान। रोटी लागय बड़ गुतुर, खाके देख मितान।। नंदावत जांता ल, हेमलाल साहू के बनाये वीडियो म देखव-
Read Moreकबिता: वाह रे मोर गाँधी बबा के नोट
वाह रे मोर गाँधी बबा के नोट, जम्मो भारत मा तोरेच गोठ। तोर नोट के बीना कुछ बुता नई होवे, जम्मो भारत मा तोरेच शोर उड़े। 5,10,20,50,100,500,1000 के नोट मा फोटो चिपके, कुछु समान ले नोट मा तोर फोटो देख समान देवे। वाह रे मुण्डा बबा तोर नोट के कमाल, तोर नोट के खातिर होवत हे गोलमाल। तोर फोटो छपे नोट रखे ले मान,सम्मान ईज्जत बड़े, तोर नोट ला देखा के बड़े बड़े काम करा ले। बबा तोर नोट बड़ कमाल के हे, तोर फोटो चिपके नोट ला देमा सबो…
Read Moreपर्यावरण परब विशेष — मोर सुरता के गाँव
मोर गाँव गिधवा पो.नगधा, तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा मा आथे। गाव के नाव ला सुनके सब अबड़ हासथे। मोर गाव के नाव गिधवा पड़िस तेकर पाछु एकठन कहानी हे सियानमन बताथे कि हमर गाव मा पहली समय मा चिरईय—चिरबुन अबड़ रहय अऊ गिध्द के इहा माड़ा रहय भारी बड़े बड़े गिध्द ला उड़ावत देख ले अगर कोनो मेरा कहु जानवरमरे रहय त ओ जगह कोरी भर तेहा गिध्द ला पाते। गिध्द के स्थल के करन हमर गाव के नाम गिधवा परिस।
Read Moreचल रे चल संगी चल
चल रे चल संगी चल बेरा के संगे—संग चल। ऐतेक अलाल झन बन, बेरा के संगे—संग चल। नई तो बेरा ला गवा देबे, ते जवाना ले पिछवा जाबे। बुता हा बाढ़ जाही, बेरा हा अपन रद्दा निकल जाही। बाद में ते पछताबे, अपन संगी ले दुरिहा जाबे। जेन बेरा के संग चले, ओला दुनिया पसंद करे। तोर अलाली ले दिन पहागे, देख काम बुता हा कतका बाढ़गे। बेरा के संगे—संग बुता ला कर ले, बेरा बचा के दुसर का मा भीड़ ले। बेरा के संगे—संग चलबे, त दुनिया ला पाछु…
Read Moreहेमलाल साहू के कविता
हमर माटी हमर गोठ भगवान के पूजा करथव सही रद्दा मा चलथव। सब्बो झन ला अपन समझथव ज्ञान के संग ला धरथव अपन अज्ञानता ला भगाथव दाई ददा के गुन गाथव। ईश्वर के मया, कृपा अऊ दुलार हे छत्तीसगढ़ माटी के पहचान हे। किसान बेटा के नाम हे बुता बनिहारी के काम हें। हेमलाल मोर नाम हे। मोर बाबुजी गरीब किसान ये बुता बनिहारी ओकर काम यें मोर नाम ओकर पहचान यें बैसाखू ओकर नाम हे। मोर दाई ममता के बखान ये घर चलाना ओखकर काम ये मया अऊ दुलार…
Read Moreये दुनिया हे गोल तैय कुछ मत बोल
ये दुनिया हे गोल तैय कुछ मत बोल ये आधुनिक युग के जावाना तैय झन पछताना कान मा सुन आँखी मा देख अपन रद्दा चुपचाप रेग। जिन्दगी होगे सुखियार काम बुता मा मन नईय लागे जबले आलस्य हा डाले डेरा जागर मा पड़गे किड़ा। झुण्ठ बोलय पैसा कमावय भ्रष्टाचार ला अपन व्यवसाय बनावय लईका से लेकर सियानमन चपरासी से लेकर नेतामन सबो भ्रष्टाचार मा डूबे दु पैसा के खातिर अपन ईमान ला बेचे। यहाँ तो मिठ लबरा के वाह वाही हे मिठ मिठ बात मा जनता लुटाये नेता हा जनता…
Read Moreमोरे छत्तीसगढ़ के संगवारी
मोरे छत्तीसगढ़ के संगवारी भैईया मोरे किसान बैईला, नागर, तुतारी तोरे पहचान भुईयाँ दाई तोरे महतारी गा सियान तोला कहिथे छत्तीसगढ़ के मितान भैईया मोरे किसान। मोरे छत्तीसगढ़ के संगवारी भैईया मोरे बनिहार गईति,रापा,हसिया,टगिया तोरे पहचान भुईयाँ दाई तोरे महतारी गा सियान तोला कहिथे छत्तीसगढ़ के मितान भैईया मोरे बनिहार। मोरे छत्तीसगढ़ के संगवारी मोरे भईया जवाना काम, बुता, रखवारी तोरे पहचान भुईयाँ दाई तोरे महतारी गा सियान तोला कहिथे छत्तीसगढ़ के मितान मोरे भईया जवान। मोरे छत्तीसगढ़ के संगवारी मोरे भैईया बिधार्थी कलम, कापी, पुस्तक तोरे पहचान भुईयाँ दाई…
Read Moreअड़हा दिमाग के कमाल
आवव संगी तुमन ला सुनावथ हव दशरू बबा के कहानी ला बबा हा निचट अड़हा रहय फेर जिन्दगी मा पढ़े नी रहीस पर कढ़े जरूर रहीस हे दशरू बाबा बड़ गरीब रहय घर मा ढोकरी दाई अऊ बबा रहय दुनो झन बनी भुती करके जिन्दगी चलावय दिन रात हरी गुन ला गावय सुख सुख दिन ला गुजारय। बबा अऊ ढ़ोकरी दाई के कमाये ले कुछ बछर बीते के बात सबो चीज होगे रहय।उही समय गाव मा अड़बड़ चोरी होवय जेकर घर में पावय तेकर घर में चारी करे ला घुस…
Read Moreभुईया दाई करत हे गोहार
भुईया दाई करत हे गोहार भुईया दाई करत हे गोहार छोड़ के झन जा भैईया शहर के द्वार ये नदिया-नरवा, ये रूखराई तोला पुकारत हे मोर भाई चिरई-चिरबुन मया के बोली बोलत हे तुरह जवई जा देख जिहाँ खऊलत हे गाँव के बईला-भैईसा, गया-गरूवामन मया के आसु रोवत हे हमर जतन कराईया हा शहर मा जाके बसत हे भुईया दाई ला छोड़के मनखे हा शहर डहर रेगत हे आज के लईकामन खेती-खार ल छोड़त हे पढ़-लिख के शहरिया बाबू बने के सपना देखत हे गाँव ला छोड़ शहर मा जाके…
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