मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी चम्मच ह मजा करे झारा दुखियारी. गहूं बर मुसुवा हे शक्कर बर चांटा परलोखिया झड़कत हे घी के पराटा खरतरिहा झांके रे पर के दुवारी. मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी. बरा बोबरा ला घर लीस बहिरासू चीला लसकुसही बोहावत हे आंसू कुसली बिड़िया चले ठाकुर जोहारी. मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी. गुलगुलहा भजिया अब तो नंदागे जरहा अंगाकर उड़रिया भगागे पेट पिरही कराही सूते ओसारी. मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी. फरा फरागे चउसेला हे मुरही मुठिया मोटियारी हाबे एक सुरही करछुल…
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- Hemnath Vema “Vikal”