भगवान भोलेनाथ कर विष्णु जी हा एक दिन पहुँचिस अउ महादेव ला कहिस-हे त्रयम्बकेश्वर! एक विनती करेबर आय हँव।महादेव कहिस- काय बात आय चक्रधर! आज आप बहुतेच अनमनहा दिखत हव।अइसे कोन बूता आय जौन ला आप नइ कर सकव।विष्णु जी कहिस- का बताँव महराज! ये यमराज हा उतलंग नापत हे। जतका हमर भगत हे, सब ला रपोट बहार के उपर लावत जात हे। नियम कानून के पालन नइ करत हे। हमन नियम बनाय रहेन कि जौन मन देबी देवता के भगत हवे ओमन ला यमराज हा हाथ झन लगाही।फेर वो…
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मोर ददा ला तनखा कब मिलही
दस बच्छर के नीतिन अउ एक महिना बड़े ओकर कका के बेटी टिया अँगना मा खेलत रहिस। दूनो मा कोन जनी काय सरत लगिस तब टिया हा कहे लगिस मेहा हार जहूँ ता मोर पइसा ला मोर पापा ला तनखा मिलही तब देहँव। नीतिन समझ नइ सकिस कि ओकर कका हा कहाँ ले तनखा पाथय,कोन ओला तनखा देथय। ओहा ओतका बेरा तो खेल लिहिस फेर ओखर मन मा बइठ गे कि हमर ददा ला तनखा कब मिलथे। संझा नीतिन अपन ददा मोहन के रद्दा देखत रहय।खेत ले रापा ला खाँद…
Read Moreनान्हे कहिनी – फुग्गा
लच्छू अपन नानकुन बेटी मधु ला धरके मड़ई देखायबर लाय हे।लच्छू के जिनगी गरीबी मा कटत हे। खायबर तो सरकार हा चाउँर दे देथय।फेर गाँव मा काम बूता हाथ मा नइ रहे ले एकक पइसा बर तरसत रहिथे। आज गाँव के मड़ई हे।एसो बहुतेच भीड़ हवय। काबर कि एसो मड़ई के दिन सरकारी छुट्टी घलो पड़गे हवय। गाँव के जतका सरकारी नौकरी करइया मन सहर मा रहिथे सबो मन परिवार संग मड़ई मानेबर आय हवय। गाँव के मड़ई मा बेटी दमाद ,समधी सजन सबो मन आय हे। माता देवाला अउ…
Read Moreबाबा घासीदास जयंती – सतनाम अउ गुरु परंपरा
गुरु परंपरा तो आदिकाल से चलत आवत हे। हिन्दू धरम मा गुरु परंपरा के बहुत महिमा बताय हे।गुरु के पाँव के धुर्रा हा चंदन बरोबर बताय हे , प्रसाद अउ चरणामृत के महिमा ला हिन्दू धरम मा बिस्तार से बरनन करे जाथे।घर मा गुरु के आना सक्षात भगवान आयबरोबर माने गय हवय। सनातन धरम मा तो गुरु शिष्य परंपरा के बहुतेच बढ़िया बरनन मिलथे।कबीर पंथ मा घलाव गुरु पुजा के महत्तम ला बताय हे।आज भी गुरु परंपरा सबो पंथ मा चलत हे। कबीरदास जी हा गुरु ला भगवान ले बड़े…
Read Moreपरंपरा – अंगेठा आगी
परदेशी अब बुढ़वा होगे।69 बच्छर के उमर माे खाँसत खखारत गली खोर मा निकलथे। ये गाँव ला बसाय मा वोहा अपन कनिहा टोरे रहिस। पहाड़ी तीर के जंगल के छोटे मोटे पउधा मन ला काट के खेत बनाय रहिस। डारा पाना के छानी मा अपन चेलिक काया ला पनकाय रहिस। अंगेठा बार के जड़कला ला बिताय रहिस। अपन सब संगवारी मन ला नवा गाँव बनाय बर अउ खेती खार पोटारे बर जिद करके बलाय रहिस। पाँच परिवार के छानी हा आज तीन सौ छानी वाला परिवार के उन्नत गाँव बनगे।…
Read Moreजड़कला मा रउनिया तापव
अइसे तो जड़कला हा कुँवार महिना से सुरु हो जाथे अउ पूस ले आगू तक रहिथे। कातिक महिना ले मनखे मन रउनिया लेय के घलाव सुरु कर देथे। अग्हन अउ पूस महिना मा कड़कड़ाती जाड़ लागथे।ये महिना मा सूरुज देव अपन गर्मी ला कहाँ लुकाथे तेकर पताच नइ चलय। ये दिन मा कतका जल्दी बेरा पंगपंगा जाथे अउ कतका जल्दी बेर बूड़ जाथे। बूता कराइया मन ला अइसे लागथे कि आज कुछू बुताच नइ होइस। जाड़ दिन के घलाव हमर जिनगी मा भारी महत्तम हावय।इही दिन हा उर्जा सकेले के…
Read Moreनवरात्र परब : मानस में दुर्गा
हमर छत्तीसगढ़ मा महापरब नवरात ला अड़बड़ उछाह ले मनाय जाथे।नौ दिन तक गाँव के शीतला (माता देवाला) मा अखंड जोत जलाय जाथे अउ सेवा गीत गाय जाथे ।गाँव गाँव मा दुर्गा के मूरती मढ़ाके नौ दिन ले पूजा करे जाथे। गाँवभर के जुरमिल के ये परब ला भक्तिभाव ले मनाथे। छत्तीसगढ़ मा गाँव के संगे संग छोटे,मंझला अउ बड़का सहर मा दुर्गा माता के बड़े बड़े मूर्ति, बड़े बड़े जगमग जगमग करत पंडाल, नाच पेखन, जगराता, सांस्कृतिक कार्यक्रम के नवरात परब के दर्शन होथय। नवरात परब मा छत्तीसगढ़ मा…
Read Moreपितर पाख : पितर अउ कउँवा
कउँवा के नाँव सुनत एक अइसे चिरई के रुप दिखथे,जेकर रंग बिरबिट करिया, एक आँखी फूटहा माने अपसकुनी, बोली मा टेचरहा, मीठ बोली ला जानय नहीं ,खाय बर ललचहा, झगरहा, कुल मिलाके काम , क्रोध, लोभ मोह, ईर्ष्या, तृष्णा के समिल्हा रुप।सब चिरई मन ले अलग रहइया।अपन चारा ला बाँट के नइ खावय। अइसे तो कउँवा के महिमा हा सबो जुग मा हावय।सतजुग मा भगवान शंकर हा सबले पहिली राम कथा ला पार्बती ला सुनाईस।वो कथा ला पेड़ मा उपर बइठे ये कउँवा चिरई हा सुन डारिस।शंकर के असीस से…
Read Moreनवा तिहार के खोज
तिहार के नाँव सुनते भार रोटी पीठा,लिपई पोतई, साफ सफई के सुरता आ जाथे।छत्तीसगढ़ गढ़ मा सबो किसम के तिहार ला मनाय जाथे।छत्तीसगढ़ के तिहार हा देबी देंवता , पुरखा, खेती किसानी ले जुड़े परंपरा के सेती मनाय जाथे।फागुन राँधे चैत खाय के हाना घलाव चले आवत हे। पुरखा मन बर अक्ति, पितर, तिहार आथे। देबी देंवता मन के तो सबो तिहार मा पूजा पाठ होथय।अक्ति, रामनवमीं, रथ दूज, हरेली, राखी, तीजा पोरा, गनेश पक्ष, जवाँरा, नवरात्रि, भोजली, दसहरा,देवारी भाई दूज, अइसने किसम के हर पून्नी मा तिहार ला रखे…
Read Moreब्रत उपास : कमरछठ अउ सगरी पूजा
नारी मन अपन परिवार के सुखशांति अउ खुसहाली बर अबड़ेच उपास धास करथँय। कभू अपन बर गोसइँया पायबर, पाछू अपन सोहाग ला अमर राखे बर। कतको घाँव तिहार बार मा, देंवता धामी मन के मान गउन करेबर अउ पीतर मन के असीस पायबर घलाव उपास करथँय।अइसने एक उपास महतारी मन अपन लइकामन बर राखथँय।एला कमरछठ , खमरछठ, अउ हलछस्ठी उपास कहिथँय। ये उपास ला बिहाता नारी अउ लोग लइका होय महतारी मन रहिथँय। कमरछठ मा सगरी पूजा के महत्तम हे।ये दिन महतारी मन बिहनिया ले मंजन ब्रस नइ करके महुवा…
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