Jitendra Verma Khairjhitiya

आगे आगे नवा साल

आगे आगे नवा साल,आगे आगे नवा साल। डारा पाना गीत गाये,पुरवाही मा हाल। पबरित महीना हे,एक्कम चैत अँजोरी के। दिखे… Read More

6 years ago

छत्तीसगढ़ी गीत-ग़ज़ल-छंद-कविता

होगे होरी तिहार होगे - होगे होरी के, तिहार गा। कखरो बदलिस न,आदत ब्यवहार गा। करु बोली मा,अउ केरवस रचगे।… Read More

6 years ago

अपन देस- शक्ति छंद

पुजारी बनौं मैं अपन देस के। अहं जात भाँखा सबे लेस के। करौं बंदना नित करौं आरती। बसे मोर मन… Read More

6 years ago

दुरिहा दुरिहा के घलो,मनखे मन जुरियाय अउ सार छंद – मकर सक्रांति

दुरिहा दुरिहा के घलो,मनखे मन जुरियाय कोनो सँइकिल मा चढ़े,कोनो खाँसर फाँद। कोनो रेंगत आत हे,झोला झूले खाँद। मड़ई मा… Read More

6 years ago

पूस के जाड़

पूस के जाड़, पहाथे लटपट। मोर कुंदरा म घाम, आथे लटपट। मोर बाँटा के घाम ल खाके, सरई - सइगोन… Read More

6 years ago

गँवई गाँव : शक्ति छंद

बहारे बटोरे गली खोर ला। रखे बड़ सजाके सबो छोर ला। बरे जोत अँगना दुवारी सबे। दिखे बस खुसी दुख… Read More

6 years ago

आसो के जाड़

जाड़ म जमगे, माँस-हाड़। आसो बिकट बाढ़े हे जाड़। आँवर-भाँवर मनखे जुरे हे, गली - खोर म भुर्री बार। लादे… Read More

6 years ago

जस गीत : कुंडलिया छंद

काली गरजे काल कस,आँखी हावय लाल। खाड़ा खप्पर हाथ हे,बने असुर के काल। बने असुर के काल,गजब ढाये रन भीतर।… Read More

6 years ago

मैं वीर जंगल के : आल्हा छंद

झरथे झरना झरझर झरझर,पुरवाही मा नाचे पात। ऊँच ऊँच बड़ पेड़ खड़े हे,कटथे जिँहा मोर दिन रात। पाना डारा काँदा… Read More

6 years ago

किरीट सवैया : नाँग नाथे मोहना

खेलन गेंद गये जमुना तट मोहन बाल सखा सँग नाचय। देवव दाम लला मन मोहन देख सखा सबके सब हाँसय।… Read More

7 years ago