Kanhaiya Sahu ‘Amit’

मुसुवा के मूँड़ पीरा

मुसुवा कहय अपन प्रिय स्वामी गनेश ले। कब मिलही मुक्ति प्रभु कलजुग के कलेश ले।। बारा हाल होही अब गियारा… Read More

3 years ago

अमित के कुण्डलिया ~ 26 जनवरी

001~ तिरंगा झंड़ा धजा तिरंगा देश के, फहर-फहर फहराय। तीन रंग के शान ले, बैरी घलो डराय। बैरी घलो डराय,… Read More

5 years ago

सेहत के खजाना – शीतकाल

हमर भारत भुईयाँ के सरी धरती सरग जइसन हावय। इहां रिंगी चिंगी फुलवारी बरोबर रिती-रिवाज,आनी बानी के जात अउ धरम,बोली-भाखा… Read More

5 years ago

सोच समझ के देहू वोट

अपन हिरदे के सुनव गोठ। सोच समझ के देहू वोट। जीत के जब आथे नेता मन, पथरा लहुट जाथे नेता… Read More

5 years ago

देवता मन के देवारी : कारतिक पुन्नी

हमर हिन्दू धरम मा देवी-देवता के इस्थान हा सबले ऊँच हावय। देवी-देवता मन बर हमर आस्था अउ बिसवास के नाँव… Read More

5 years ago

तोरे अगोरा हे लछमी दाई

होगे घर के साफ सफाई, तोरे अगोरा हे लछमी दाई। अंगना दुवार जम्मो लिपागे, नवा अंगरक्खा घला सिलागे। लेवागे फटक्का… Read More

5 years ago

सिंगारपुर के माँवली दाई

हमर माँवली दाई के धाम हमर नान्हें छत्तीसगढ़ राज ला उपजे बाढ़हे अभी खूब मा खूब सोला बच्छर होवत हे… Read More

6 years ago

डेंगू के कारण कोन

एक दिन बस्ती के मच्छर एकजघा जुरियाँइन। भनन-भनन बड़ करीन ,बिक्कट गोठियाँइन। कहत हें:- मनखे मन बड़ हुशियारी झाड़थें। गलती… Read More

6 years ago

मुसुवा के पीरा

मुसुवा कहय अपन प्रिय स्वामी गनेश ले। कब मिलही मुक्ति प्रभू कलजुग के कलेश ले। बारा हाल होही अब गियारा… Read More

6 years ago

दोहा गजल (पर्यावरण)

रुख राई झन काटहू, रुख धरती सिंगार। पर हितवा ये दानियाँ, देथें खुशी अपार।~1 हरहिंछा हरियर *अमित*, हिरदे होय हुलास।… Read More

6 years ago