मुक्का उपास

माघ महीना के अमावसिया ला मौनी अमावसिया कहे जाथे। एहा एक परब बरोबर होथे एखरे सेती एला मुक्का उपास के परब कहीथे। ए दिन ए परब के बरत करइया मन ला कलेचुप रहीके अपन साधना ला पूरन करना चाही। मुनि सब्द ले मौनी सब्द हा बने हावय। एखर सेती ए बरत मा कलेचुप मउन धारन करके अपन बरत ला पूरा करइया ला मुनि पद हा मिलथे। ए दिन गंगा-जमुना मा असनांद करना चाही। ए अमावसिया हा सम्मार के परगे ता अउ जादा बाढ़ जाथे। ए दिन धरती के कोनो कोन्टा…

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हे गुरु घासीदास – दोहालरी

पायलगी तोला बबा, हे गुरु घासीदास। मन अँधियारी मेट के, अंतस भरव उजास। सतगुरु घासीदास हा, मानिन सत ला सार। बेवहार सत आचरन, सत हे असल अधार। भेदभाव बिरथा हवय, गुरु के गुनव गियान। जात धरम सब एक हे, मनखे एक समान। झूठ लबारी छोड़ के, बोलव जय सतनाम। आडंबर हे बाहरी, अंतस गुरु के धाम। चोरी हतिया अउ जुआ, सब जी के जंजाल। नारी अतियाचार हा, अपन हाथ मा काल। जउँहर जेवन माँस के, घटिया नशा शराब। मानुस तन अनमोल हे, झनकर जनम खराब। मुरती पूजा झन करव, पोसव…

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लोक परब छेरछेरा : समाजिक समरसता के तिहार

जिनगी मा दान दक्छिना के घातेच महत्तम हावय, असल सुख-सान्ती दान पुन मा समाय हावय। हमर देश अउ धरम मा दान अउ तियाग के सुग्घर परमपरा चले आवत हे, भले वो परमपरा मन के नाँव अलग-अलग रहय फेर असल भाव एकेच होथे- दान अउ पुन। अइसने एकठन दान पुन करे के सबले बङ़े लोक परब के नाँव हे छेरछेरा परब। लोक परब एकर सेती कहे जाथे के एहा जन-जन के जिनगी मा रचे बसे हे, समाय हे। हमर छत्तीसगढ के जीवन सइली मा तो छेरछेरा हा नस मा लहू रकत…

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मुक्का उपास

माघ महीना के अमावसिया ला मौनी अमावसिया कहे जाथे। एहा एक परब बरोबर होथे एखरे सेती एला मुक्का उपास के परब कहीथे। ए दिन ए परब के बरत करइया मन ला कलेचुप रहीके अपन साधना ला पूरन करना चाही। मुनि सब्द ले मौनी सब्द हा बने हावय। एखर सेती ए बरत मा कलेचुप मउन धारन करके अपन बरत ला पूरा करइया ला मुनि पद हा मिलथे। ए दिन गंगा-जमुना मा असनांद करना चाही। ए अमावसिया हा सम्मार के परगे ता अउ जादा बाढ़ जाथे। ए दिन धरती के कोनो कोन्टा…

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तिल सकरायत

मकर संकरान्ति ला छत्तीसगढ़ मा तिल सकरायत तिहार के नाँव ले जाने अउ मनाय जाथे। अइसने एला तमिलनाडु मा पोंगल,आंध्रप्रदेश कर्नाटक मा संकरान्ति, पंजाब मा लोहिङ़ी अउ उत्तरप्रदेश मा खिचङ़ी परब के रुप मा मनाथे। सुरुज नरायन के मकर राशि मा जवई हा मकर संकरान्ति कहाथे। ए दिन सुरुज देव हा उत्तरायन हो जाथे। बेद-पुरान के हिसाब मा उत्तरायन ला देबी-देवतामन के दिन अउ दक्छिनायन ला रतिहा कहे जाथे। ए दिन हा इस्नान, दान, जप, तप अउ साधना-अनुस्ठान के अब्बङ़ भारी महत्तम होथे। तिल सकरायत के दिन सुरुज के एक राशि ले दुसर राशि मा होय परिवरतन…

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अभार अभिनंदन अटल जी के (25 दिसंबर अटल बिहारी वाजपेयी के जनमदिन)

छत्तीसगढ राज के जनम 1 नवंबर 2000 के दिन होइस हे। लाखों-लाख जनता के आँखी के सपना जब सच होइस, पूरा होइस ता खुशी के मारे आँखी के आँसू थिरके के नांव नइच लेवत रहीस। कतका प्रयास, कतका आंदोलन अउ कतका संघर्ष के पाछू हमला हमर छत्तीसगढ राज हा मिलीस। छत्तीसगढ हा बच्छर 2000 के पहिली मध्यप्रदेश मा सांझर-मिंझर के चलत रहीस हे। एक बङका राज के संरक्छन मा छत्तीसगढ के सुवाँस हा अपनेच छाती भीतरी फूलय अउ छटपटी हा सरलग बाढत रहीस। एक ठन बङे बर रुख के खाल्हे…

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जड़काला मा रखव धियान

हमर भारत भुईयाँ के सरी धरती सरग जइसन हावय। इहां रिंगी चिंगी फुलवारी बरोबर रिती-रिवाज,आनी बानी के जात अउ धरम,बोली-भाखा के फूल फूले हावय। एखरे संगे संग रंग-रंग के रहन-सहन,खाना-पीना इहां सबो मा सुघराई हावय। हमर देश के परियावरन घलाव हा देश अउ समाज के हिसाब ले गजब फभथे। इही परियावरन के हिसाब ले देश अउ समाज हा घलो चलथे। इही परियावरन के संगे संग देश के अर्थबेवसथा हा घलाव चलथे-फिरथे। भारत मा परियावरन हा इहां के ऋतु अनुसार सजथे संवरथे। भारत मा एक बच्छर मा छै ऋतु होथे अउ…

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गुरू बबा के गियान ला गुनव

हमर छत्तीसगढ मा दिसंबर के महीना मा हमर गुरू घाँसी दास बबा के जनम जयंती ला बङ सरद्धा अउ बिसवास ले मनाथें। गुरु बबा के परति आसथा अउ आदर देखाय के सबले सुग्घर,सरल उदिम हरय जघा-जघा जयंती मनाना। उछाह के संग भकती के मिलाप ले जयंती हा अब्बङ पबरित जीनिस बन जाथे। जयंती के तियारी पंदरही के आगू ले करत आथें। गाँव-गाँव,गली-गली, चउक-चउराहा मा सादा सादा धजा,सादा तोरन पताका,सादा-सादगी ले पंथी नाच गान के अयोजन अउ प्रतियोगिता महीना भर चलत रहीथे। पंथी नाच गान हा सुनता अउ जोश के अद्भुद…

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पूस के रात : प्रेमचंद के कहानी के छत्तीसगढ़ी अनुवाद

हल्कू हा आके अपन सुवारी ले कहीस- “सहना हा आए हे,लान जउन रुपिया राखे हन, वोला दे दँव। कइसनो करके ए घेंच तो छुटय।” मुन्नी बाहरत रहीस। पाछू लहुट के बोलिस- तीन रुपिया भर तो हावय, एहू ला दे देबे ता कमरा कहाँ ले आही? माँघ-पूस के रातखार मा कइसे कटही? वोला कही दे, फसल होय मा रुपिया देबो। अभी नहीं। हल्कू चिटिक कून असमंजस मा परे ठाढ़े रहीगे। पूस मुँड़ उपर आगे,कमरा के बिन खार मा वोहा रात कन कइसनो करके नइ सुत सकय। फेर सहना नइच मानय,धमकी-चमकी लगाही,गारी-गल्ला…

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देवता मन के देवारी : कारतिक पुन्नी 04 नवंबर

हमर हिन्दू धरम मा देवी-देवता के इस्थान हा सबले ऊँच हावय। देवी-देवता मन बर हमर आस्था अउ बिसवास के नाँव हरय ए तीज-तिहार, परब अउ उत्सव हा। अइसने एक ठन परब कारतिक पुन्नी हा हरय जेमा अपन देवी-देवता मन के प्रति आस्था ला देखाय के सोनहा मौका मिलथे। हमर हिन्दू धरम मा पुन्नी परब के बड़ महत्तम हावय। हर बच्छर मा पंदरा पुन्नी परब होथे। ए सबो मा कारतिक पुन्नी सबले सरेस्ठ अउ शुभ माने जाथे । कारतिक पुन्नी के दिन भगवान शंकर हा तिरपुरासुर नाँव के महाभयंकर राक्छस ला…

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