जय जय हो गजानन तोर जय हो,प्रभु दुनिया ला देखे अपन आए कर कभु। तोर अगोरा पुरा साल भर तो करथन, संग हमर हमेशा रईह जुगाड़ कर प्रभु।। बस भादो के का दस दिन हे, तोर इँहा आए के निश्चित बेरा। कतको रोज पूजे तोला इँहा हे, अब तो डार ले सदादिन डेरा।। पहिली पूजा हरदम तोरे करथन, तहाँ फेर दूसर देवन ला भजथन। अब देख हमेशा हमर हे करलाई, प्रभु इँहा हम रोज दु:ख पावथन।। नौ दिन सेवा तोर हम करथन, अऊ तो दसवां दिन बोहवाथन जी। खुरमी ठेठरी…
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पं. खेमेस्वर पुरी गोस्वामी के दस ठन कविता
1. चुनाव के बेरा अऊ नेता जइसे–जइसे चुनाव लकठियावत हे फिजा के आलम बदलत जावत हे मिडिया वाले घलो कवरेज देखावत हे ऐखर मतलब मोरो समझ में आवत हे कल तक जो नेता पुछत नई रिहिस साथ म प्रचार करवाये बय वो आज गरीब किसान ल घलो अपन माई- बाप बतावत हे जइसे–जइसे चुनाव लकठियावत हे फिजा के आलम बदलत जावत हे। कल तक जेन नेता दबंगई ले बात-बात म उछालय लोगन के इज्जत बाजार म वो आज अपन इज्जत बचाय के सेति आँसू के गंगा बोहावत हे। अऊ ते…
Read Moreधरम बर तुकबंदी
आड़ लेके धरम के, सत्ता सुख के छांव अस्त्र धरे कोनो हाथ म, कोनो घुंघरू बांधे पांव छुरी छुपी हे हाथ मं, मुख म बसे हे राम कंहूं हजरत के नाम ले, करथें कत्लेआम भोला बचपन विश्व म, भाला धरे हे हाथ भरे जवानी आज इंखर, छोड़त हवय रे साथ कराहत हे इंसानियत, चिल्लावत चारो डहर धरम हमार मौन हे, सत्ता के नईहे ठउर कोई कहे अल्लाह बड़े, कोई कहे श्रीराम कोई कहे ईसा सही, कोई कहे सतनाम कहूं धरम के नाम म, चलत हवे बंदूक कहूं धरम के नाम…
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