सतजुगहा किस्सा ये, ओ पइत मनखे जनावर अउ चिरई-चिरगुन, सांप डेंड़ू, सबे मन एक दूसर के भाखा ओखरे बर जानंय।अपन… Read More
छकड़ा भर खार पीये के जिनिस देख के सबे गांव वाला मन पनछाय धर लिन कब चूरय त कब सपेटन।ए… Read More
बाल कहिनीसबो चोरी ओतके बेर होथे, जतका बेर मनखे घर ले बाहिर रथे। ओहर घातेच बिचारिस त सुध आईस, जमे… Read More
मुकुल के जीव फनफनागे। अल्थी-कल्थी लेवत सोचिस, अलकरहा फांदा म फंदागेंव रे बबा। न मुनिया संग मेंछरई न दई -ददा… Read More
सब झन एती ओती माल-टाल टमरत राहंय। सिध्दू गोमहा कस ठाढ़े रिहिस। एती ओती झांकिस त देखथे चुल्हा म तसमई… Read More
एक ठिक मिट्ठू राहय। पटभोकवा, गावय मं बने राहय। फेर बेद नई पढ़य। डांहकय, कूदय, उड़ियाय, फेर कायदा-कानहून का होथे,… Read More
लोक कथा दाई बपरी करम छड़ही कस औंट के रहिगे। सोचिस बेटा तो मोर केहे के उल्टा करथे, मोला डोंगरी… Read More
''लइका के पीरा कतेक अऊ कइसे होथे बनवाली ले जादा बहुत कमेच्च जानथे। दूसर बिहाव के चरमुड़िया राग बनवालीच करा… Read More