तीजा

पति के लंबा उमर हो चाहे कोनो डहर हो खालव चाहे बर्गर पीजा एक बार रख लौ जी तीजा घरो घर गणपति विराजे फुल फुलवारी सारंग श्वर बाजे नई मिले चाहे तोला विजा एक बार रख लौ जी तीजा सखि सहेली नाचा गावा पुजा के थाली ला लावा दुब फुल हावय ताजा ताजा एक बार रख लौ जी तीजा गणपति हा हरही कष्ट हमर सबो के जीवन जाही समर करलव चालू गाजा बाजा एक बार रख लौ जी तीजा कोमल यादव मदनपुर, खरसिया

Read More

काबर सूना हावय कलाई

भैया तैं मां के सेवा करथस दिन अउ रात मन मा लुका रखे हंव मैं हा कोनो भी हो बात कछु भी नई कहस तैं हर कतको हो आघात खुष रइबे मां के सेवा में चाहे कठिन होवय हालात हम सबके रक्षा में भाइ्र्र सुना हावय कलाई अमन शांति होवय जग मा झन होवय लडाई भारत माता के छंइहा मा काबर सुना हावय कलाइ्र्र दुष्मन के घर घलो माता हावय हावय बच्चा अउ बुढवा बहिनी ला बस ये कहना हे तैं हर हमर दुलरूवा वो चल के गिरना तोर हमन…

Read More

राखि तिहार

बहिनी कोखरो नई हे ता जीवन बेकार हे अक्षुन्य विष्वास हावय जहां ओखरे नाम राखि तिहार ए मॉं के ममता अउ पिता के दुलार हे बहिनी के बकबक हे जहां ओखरे नाम राखि तिहार ए जीवन के कोनो मोड़ मा अनुराग मिले बेषुमार हे कृति में केंद्रित हावय मनुजत्व जहां ओखरे नाम राखि तिहार ए बहिनी के डोली के सपना अब मोर उपर उधार हे बिदाई के आषु हावय जहां ओखरे नाम राखि तिहार ए बुढवा मन के लउठी बनना हम सबों के संस्कार हे आंखि मां आतुरता हावय जहां…

Read More

सावन

व्याकुलता छाए हे तन मन मा अकुलित हम सब यौवन मा जम्मो कति बादर आ गे नाचत हे मजूर अब वन मा आकुल मन शांत हो गे हे बुढवा के चौपाल खो गे हे गावत हे डाल मा सुअन धरती के पियास बुझाय बर आ गे हे सावन मरूस्थल मा छाए हे हरियाली थक हार के बइठे तपन महाबली माटी के खुषबू मनभावन पियास बुझाए बर धरती के आ गे हे सावन चिखला फइले हे चहुॅंओर आवत हावय घटा घनघोर आंखि खोल उठ गे हे सुमन पियास बुझाए बर धरती…

Read More

लक्ष्‍मण कुम्हार : कोमल यादव के कविता

छत्तीसगढीहा माई के दुलार डांस इण्डिया बर रहिस तइयार ददा हे जेखर रिक्शा चरवार नाव हे लक्षमण कुम्हार। पन्नी बिनइया लइका के सोनी टी वी करिस उद्धार नाव हे लक्षमण कुम्हार।

Read More

कोमल यादव के कविता : बेटी बचावा अउ जाड के बेरा

बेटी बचावा कइथे बेटी हाथ पसार मोला देवा मया दुलार। बेटी मन ला काबर मया नई करय हमर संसार। सोचा जम्मो झन बेटी बिना बन सकही का घर परिवार। नानकुन ले लेके जवानी तक मोर ऊपर लटकत हावय तलवार। मोर पिडा अउ वेदना के का अब होही कोनो स्थाई उपचार।

Read More