Kuber

दू रूपिया के चॉंउर अउ घीसू-माधव: जगन

रेल गाड़ी ह टेसन म छिन भर रूकिस अउ सीटी बजात आगू दंउड़ गिस। छिने भर म टेसन ह थोड़… Read More

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बसंती

आज संझा बेरा पारा भर म सोर उड़ गे - ‘‘गनेसी के टुरी ह मास्टरिन बनगे..............।’’ परतिंगहा मन किहिन -… Read More

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बाम्हन चिरई

बिहाव ह कथे कर के देख, घर ह कथे बना के देखा। आदमी ह का देखही, काम ह देखा देथे।… Read More

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आज के सतवंतिन: मोंगरा

बाम्हन चिरई ल आज न भूख लगत हे न प्यास । उकुल-बुकुल मन होवत हे। खोन्धरा ले घेरी-बेरी निकल-निकल के… Read More

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फूलो

फगनू घर बिहाव माड़े हे। काली बेटी के बरात आने वाला हे। जनम के बनिहार तो आय फगनू ह, बाप… Read More

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परिचय : कथाकार – कुबेर

नाम - कुबेर जन्मतिथि - 16 जून 1956 प्रकाशित कृतियाँ: 1 - भूखमापी यंत्र (कविता संग्रह) 2003 2 - उजाले… Read More

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मरहा राम के संघर्ष

असाड़ लगे बर दू दिन बचे रहय। संझा बेरा पानी दमोर दिस। उसर-पुसर के दु-तीन उरेठा ले दमोरिस। गांव तीर… Read More

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मरहा राम के जीव

रात के बारा बजे रहय। घर के जम्मों झन नींद म अचेत परे रहंय। मंय कहानी लिखे बर बइठे रेहेंव।… Read More

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अम्मा, हम बोल रहा हूँ आपका बबुआ

बड़े साहब के रुतबा के का कहना। मंत्री, अधिकारी सब वोकर आगू मुड़ी नवा के, हाथ जोड़ के़ खड़े रहिथें।… Read More

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पंदरा अगस्त के नाटक

चउदा तारीख के बात आय। रतनू ह खेत ले आइस। बियासी नांगर चलत रहय। बइला मन ल चारा चरे बर… Read More

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