संगी हो! पथरा तो पथरा होथे फेर विही ह जिनगी के अटघा घला होथे। जानइया मन बर विहिच म प्रेम हे धरम-करम-नेम हे दया-मया अउ पीरा हे जिनगी ल गढ़े बर अनमोल हीरा हे जिये-मरे के सीख हे फेर अड़हा मन बर करिया आखर भंइस बरोबर सबो एकेच् सरीख हे। ये हर सच आवय, कि […]
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मूल – The Model Millionair (द मॉडल मिलियनेअर) कथाकार – Oscar Wilde (आस्कर वाइल्ड) अनुवादक — कुबेर जब तक कोई धनवान न हो, दिखे म सुंदर होय के कोई फायदा नइ हे। प्रेम करना घला भरे-बोजे, पोट मनखे मन के बपौती आय, निठल्लू मन के काम नो हे। गरीब मन ल तो बस रांय-रांय कमाना […]
छत्तीसगढ़िया होटल
कवि – कुबेर छत्तीसगढ राज म एक ठन, छत्तीसगढ़िया होटल बनाना हे। चहा के बदला ग्राहक मन ल, पसिया-पेज पिलाना हे। सेव के बदला ठेठरी-खुरमी, इडली के बदला मुठिया-फरा, दोसा के बदला चिला रोटी, तुदूरी के बदला अंगाकर रोटी खवाना हे। मंझनिया तात पेज, संग म अमारी भाजी, रात म दार-भात अउ इड़हर के कड़ही, […]
मूल रचना – The Last Leaf लेखक – ओ हेनरी अनुवादक – कुबेर वाशिंगटन स्क्वायर के पश्चिम म एक ठन नानचुक बस्ती हे जेकर गली मन बेढंग तरीका ले, येती ले ओती घूम-घूम के, एक दूसर ल छोटे-छोटे पट्टी म काटत निकले हे, जउन (पट्टी) मन ह ‘प्लेसिज’ (पारा या टोला) कहलाथे। ये जम्मों ‘प्लेसिज’ […]
मेजाई के उपहार
‘O’ HENRY (WILLIAM SYDNY PORTER) The Gift of the Magi (1862 – 1910) संक्षिप्त परिचय ’ओ. हेनरी’ के मूल नाम विलियम सिडनी पोर्टर रिहिस, इंकर जनम 11 सितंबर 1862 अउ निधन 05 जून 1910 म होइस। आप बैंक क्लर्क के नौकरी करत रेहेव। 1894 म 4000 डालर के चोरी के आरोप म आप ल जेल […]
समग्र साहित्यिक परंपराओं पर निगाह डालें तो वैदिक साहित्य भी श्रुति परंपरा का ही अंग रहा है। कालांतर में लिपि और लेखन सामग्रियों के आविष्कार के फलस्वरूप इसे लिपिबद्ध कर लिया गया क्योंकि यह शिष्ट समाज की भाषा में रची गई थी। श्रुति परंपरा के वे साहित्य, जो लोक-भाषा में रचे गये थे, लिपिबद्ध नहीं […]
छत्तीसगढ़ी साहित्य म अनुवाद के परम्परा ‘कामेडी आफ इरर’ के छत्तीसगढ़ी अनुवाद ले चालू होए हावय तउन हा धीरे बांधे आज तक ले चलत हावय. छत्तीसगढ़ी म अनुवाद साहित्य उपर काम कमें होए हावय तेखर सेती अनुवाद रचना मन के कमी हावय. दूसर भाखा के साहित्य के जब हमर छत्तीसगढ़ भाखा म अनुवाद होही तभे […]
छत्तीसगढ़ी साहित्य म अनुवाद के परम्परा ‘कामेडी आफ इरर’ के छत्तीसगढ़ी अनुवाद ले चालू होए हावय तउन हा धीरे बांधे आज तक ले चलत हावय. छत्तीसगढ़ी म अनुवाद साहित्य उपर काम कमें होए हावय तेखर सेती अनुवाद रचना मन के कमी हावय. दूसर भाखा के साहित्य के जब हमर छत्तीसगढ़ भाखा म अनुवाद होही तभे […]
172 पेज के संपूर्ण किताब.
चंपा ल आठ बजे काम म जाना हे; वोकर पहिली घर के चौंका-बर्तन करना हे, बहरइ-लिपई करना हे, नहाना-धोना हे अउ येकरो पहिली नवा बाबू के घर जा के चौंका-बरतन करना हे। अँगठा के टीप ले छिनी अँगठी के गांठ मन ल गिन के समय के हिसाब लगाइस; एक घंटा बाबू घर लगही, एक घंटा […]